नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश सरकार (Government of Uttar Pradesh) के एक नए फैसले से इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) और लखनऊ पीठ (Lucknow Bench) में अफरा-तफरी मैच गई है. राज्य सरकार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ पीठ के सभी सरकारी वकीलों को हटा दिया है और उनकी जगह 1,500 से ज्यादा नए सरकारी वकीलों को नियुक्त किया है. यह फैसला क्यों लिया गया है और कोर्ट में कितने नए वकीलों की नियुक्ति हुई है, आइए जानते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि न्याय विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार (Department of Justice, Government of Uttar Pradesh) का नया आदेश जारी हुआ है जिसके तहत इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ पीठ के लिए 1,623 सरकारी वकीलों को नियुक्त किया है.
इतना ही नहीं, ऑर्डर के मुताबिक, इलाहाबाद में आठ अडिश्नल ऐड्वोकेट जनरल (AAGs), नौ चीफ स्टैंडिंग काउंसिल (CSCs), 120 अडिश्नल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल (ACSCs), 362 ब्रीफ होल्डर (Brief Holders), 330 स्टैंडिंग काउंसिल और 125 अडिश्नल गवर्नमेंट एड्वोकेट (AGAs) को एंगेज किया गया है.
इसी तरह, लखनऊ पीठ के लिए भी पांच अडिश्नल ऐड्वोकेट जनरल (AAGs), सात चीफ स्टैंडिंग काउंसिल (CSCs), 74 अडिश्नल चीफ स्टैंडिंग काउंसिल (ACSCs), 392 ब्रीफ होल्डर (Brief Holders), 186 स्टैंडिंग काउंसिल और 31 अडिश्नल गवर्नमेंट एड्वोकेट (AGAs) को एंगेज किया गया है.
उत्तर प्रदेश सरकार के इस फैसले ने इलाहाबाद हाईकोर्ट और लखनऊ पीठ के वकीलों में काफी हलचल मचा दी है. नए सरकारी वकीलों को पुराने वकीलों को हटाकर नियुक्त किया गया है; इनमें से कुछ पहले से ही कार्यरत थे.
इलाहाबाद के नए अडिश्नल ऐड्वोकेट जनरल की लिस्ट में अजीत कुमार सिंह, नीरज त्रिपाठी, मनीष गोयल, पीके गिरी, पीके श्रीवास्तव, महेश चंद्रा चतुर्वेदी और शिव कुमार पाल के नाम शामिल हैं.
लखनऊ पीठ में जो नए AAGs अपॉइन्ट हुए हैं, वो हैं- कुलदीपपति त्रिपाठी, अनिल प्रताप सिंह, अशोक शुक्ला, विमल श्रीवास्तव और वीके शाही.