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ED के पूर्व अफसर की बढ़ी मुश्किलें! बेंगलुरू कोर्ट ने घूस लेने के आरोपों को पाया सही, सुना दी ये कठोर सजा

ED के पूर्व ऑफिसर ललित बजाड़ ने शिकायतकर्ता को अंतहीन कानूनी कार्यवाही में उलझाकर उसके व्यवसाय और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का डर दिखाया था. इस मामले में सीबीआई अदालत, बेंगलुरु ने प्रवर्तन निदेशालय के तत्कालीन प्रवर्तन अधिकारी ललित बजाड़ को दोषी माना.

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ऑफिस,

Written by Satyam Kumar |Published : July 27, 2025 12:56 PM IST

रिश्वतखोरी के एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पूर्व अधिकारी को तीन साल कैद की सजा सुनाई है. इसके साथ ही दोषी के खिलाफ 5.5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया. ललित बजाड़ नाम का अधिकारी बेंगलुरु निदेशालय में कार्यरत थे. उस पर एक निजी शिकायतकर्ता से 5 लाख रुपए की रिश्वत मांगने और स्वीकार करने का आरोप है. ललित बजाड़ ने शिकायतकर्ता को अंतहीन कानूनी कार्यवाही में उलझाकर उसके व्यवसाय और प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का डर दिखाया था. इस मामले में सीबीआई अदालत, बेंगलुरु ने प्रवर्तन निदेशालय के तत्कालीन प्रवर्तन अधिकारी ललित बजाड़ को दोषी माना और उसके खिलाफ तीन साल जेल की सजा दी. सजा के साथ अदालत ने ललित बजाड़ के खिलाफ 5.5 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

ललित बजाड़ को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7 (रिश्वतखोरी) के तहत दंडनीय अपराध के लिए सज़ा सुनाई गई है. उन्हें 3 साल का साधारण कारावास और 5,00,000 रुपये का जुर्माना दिया गया है. जुर्माना न भरने पर उन्हें 6 महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा. साथ ही ललित बाजाड़ को भारतीय दंड संहिता की धारा 384 (जबरन वसूली) के तहत अपराध के लिए सजा सुनाई गई है. यदि जुर्माना नहीं भरा जाता है, तो उसे एक महीने का अतिरिक्त साधारण कारावास भुगतना होगा.

जून 2021 में सीबीआई ने ललित बजाड़ को अपोलो फिनवेस्ट नामक कंपनी के मालिकों से 50 लाख रुपये की रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था. बाज़ाद पर आरोप लगा कि उन्होंने अपोलो फिनवेस्ट के मालिकों को धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उसे 50 लाख रुपये नहीं दिए तो वह उनकी कंपनी का नाम चीनी लोन ऐप मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जोड़ दिया जाएगा, जिससे उनका मामला दस सालों से ज़्यादा चलेगा और उनके खाते फ्रीज हो जाएंगे. बेंगलुरू कोर्ट ने पाया कि ईडी अधिकारी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए रिश्वत मांगी और 5 लाख रुपये की जबरन वसूली की. इसलिए, उसे रिश्वतखोरी और जबरन वसूली के अपराधों के लिए दोषी पाया गया.

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