राउज एवेन्यू कोर्ट ने सीबीआई के अभियोजक यानि सीबीआई की ओर से अदालत में पेश होनेवाले वकील अनिल तंवर और दो अन्य को पुलिस हिरासत में भेजने से इनकार कर दिया, जिसके बाद तीनों आरोपियों को मंगलवार शाम न्यायिक हिरासत में भेजा गया. विशेष सीबीआई जज मुकेश कुमार ने वकीलों के तर्कों को सुनने के बाद अनिल तंवर, अवनीश कुमार और ज्योतिमन देथान की पुलिस हिरासत की अर्जी खारिज कर दी. अदालत ने माना कि जांच एजेंसी द्वारा पुलिस हिरासत की मांग के लिए पर्याप्त तथ्य और परिस्थितियां प्रस्तुत नहीं की गईं. अदालत ने 10 अप्रैल, 2025 के आदेश में कहा था कि जांच एजेंसी ने उस स्तर पर कोई ऐसा डेटा एकत्र नहीं किया था और आरोपियों की पुलिस हिरासत देने के लिए कोई ठोस कारण नहीं बताया गया था.
जज ने 15 अप्रैल को आदेश दिया कि
"उपरोक्त दलीलों और तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, जांच एजेंसी द्वारा पुलिस हिरासत की मांग को खारिज किया जाता है."
अदालत ने तीनों आरोपियों को 29 अप्रैल 2025 तक न्यायिक हिरासत में भेजा है. सुनवाई के दौरान, अदालत ने केस डायरी की जांच कर उस पर हस्ताक्षर किए. आरोपी व्यक्तियों को न्यायिक हिरासत से अदालत के सामने पेश किया गया. उन्हें 10 अप्रैल को न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. इस दौरान अदालत ने पुलिस हिरासत की मांग को लंबित रखते हुए आरोपियों के खिलाफ साक्ष्य एकत्र करने का निर्देश दिया था.
वहीं, सीबीआई के वकील ने तीनों आरोपियों की 10 दिन की और हिरासत मांगी थी. सीबीआई ने दावा किया कि अवनीश कुमार की कार से कई विभागों के एक्सपायर्ड आईडी कार्ड मिले हैं, जिसमें एक सेवानिवृत्त अधिकारी का आईडी कार्ड भी शामिल है. सीबीआई का कहना है कि यह एक बड़ा देशव्यापी रैकेट है.
आरोपियों के वकीलों ने गिरफ्तारी की प्रक्रिया और सबूतों की वैधता पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने दलील दिया कि अनिल तंवर की गिरफ्तारी के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था, उन्हें रात 2 बजे सीबीआई के डीआईजी कार्यालय में गिरफ्तार किया गया था. अवनीश कुमार के वकील ने कहा कि कार से बरामद पहचान पत्र उनके हैं और उन्होंने उन विभागों के लिए काम किया है। यह तथ्य संबंधित विभाग से सत्यापित किया जा सकता है.
शिकायतकर्ता हिमांशु नानावती, जो एक और सीबीआई मामले में आरोपी हैं, ने आरोप लगाया कि अवनीश कुमार ने उन्हें अपने मामले के निपटारे के लिए संपर्क किया था और खुद को सीबीआई अधिकारी बताया था. उन्हें अनिल तंवर से मिलवाया गया, जिसने उन्हें मामलों में मदद करने का प्रस्ताव दिया और 50 लाख रुपये की मांग की, जिसे बाद में 35 लाख रुपये कर दिया गया. तंवर ने उन्हें अवनीश कुमार के साथ समन्वय करने के लिए कहा. इन्ही आरोपों के चलते सीबीआई के प्रोसीक्यूटर को गिरफ्तार किया गया है.