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Delhi Riots 2020: उत्तरदाताओं को चार्जशीट की कॉपी दें Delhi Police, कैसे देना है... Rouse Avenue Court ने ये भी बताया

राउज एवेन्यू कोर्ट ने दिल्ली दंगों की साजिश मामले में पुलिस को सभी उत्तरदाताओं को चार्जशीट एक पेन ड्राइव में देने का आदेश दिया.

राउज एवेन्यू कोर्ट

Written by Satyam Kumar |Published : May 26, 2025 2:23 PM IST

दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने हाल ही में दिल्ली दंगों की साजिश मामले में पुलिस को चार्जशीट सभी उत्तरदाताओं को एक पेन ड्राइव में देने का आदेश दिया है. राउज एवेन्यू कोर्ट का आदेश पुलिस द्वारा कानून मंत्री कपिल मिश्रा और अन्य के खिलाफ की गई आगे की जांच के आदेश को चुनौती देने वाली पुनरीक्षण याचिका पर आया. बता दें कि राउज एवेन्यू कोर्ट दो पुनरीक्षण याचिकाओं की सुनवाई कर रहा है, जो 2020 के दंगों की बड़ी साजिश मामले में आगे की जांच के आदेश को चुनौती दे रही हैं. पहले, कोर्ट ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था और ट्रायल कोर्ट के आदेश और पुलिस जांच पर उसकी टिप्पणियों को स्थगित कर दिया था.

आज विशेष न्यायाधीश दीप विनय सिंह ने विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद को तीन दिनों के भीतर चार्जशीट की प्रति प्रदान करने का निर्देश दिया। उन्होंने इलियास से भी कहा कि वे उत्तरदाता चावला का पूरा नाम और पता प्रदान करें. यह मामला 31 मई को अनुपालन के लिए सूचीबद्ध किया गया है.

इस बीच, मोहम्मद इलियास ने दिल्ली पुलिस द्वारा दायर पुनरीक्षण का अपना जवाब दाखिल किया है. वहीं, कपिल मिश्रा ने आदेश को चुनौती देते हुए एक अलग याचिका दायर की है. इस पर पुलिस ने अभी तक कोई जवाब दाखिल नहीं किया है. एसपीपी मधुकर पाण्डेय पुलिस के लिए पेश हुए.

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वरिष्ठ अधिवक्ता पवन नारंग ने विधायक मोहन सिंह बिष्ट के लिए और अधिवक्ता सिद्धेश कोटवाल, कपिल मिश्रा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेश हुए. मजिस्ट्रेट का आदेश पुलिस द्वारा प्रस्तुत सामग्री और इलियास द्वारा मिश्रा और अन्य के खिलाफ FIRs की मांग करने पर आधारित था.

पुररीक्षण याचिका पर सुनवाई के दौरान कपिल मिश्रा की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद दुबे ने प्राथमिकी के बिना आगे की जांच के आदेश देने की वैधता पर सवाल उठाया, यह तर्क देते हुए कि ऐसी दिशा इसकी अनुपस्थिति में नहीं दी जा सकती है

एसपीपी अमित प्रसाद ने मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र पर सवाल उठाते हुए कहा कि प्राथमिकी पहले ही एक विशेष अदालत के समक्ष है. उन्होंने कहा कि शिकायत प्रधानमंत्री और पुलिस आयुक्त सहित कई अधिकारियों को ईमेल की गई थी, लेकिन एसएचओ को नहीं, और इस प्रकार प्राथमिकी पंजीकरण की आवश्यकताओं को पूरा नहीं करती है. उन्होंने यह भी प्रस्तुत किया कि शिकायतकर्ता के बयान असंगत थे और कोई उल्लंघन का आरोप नहीं था. उन्होंने कहा कि पुलिस पहले ही कपिल मिश्रा की भूमिका की जांच कर चुकी है, और कोई आपत्तिजनक सामग्री नहीं मिली है.

जज ने पूछा कि क्या आरोप पत्र दाखिल करने से पहले शिकायत में लगे आरोपों की जांच की गई थी और क्या अन्य शिकायतों में मिश्रा द्वारा सड़क अवरोध करने का आरोप लगाया गया था. एसपीपी ने जवाब दिया कि कई शिकायतें दर्ज की गई थीं, लेकिन किसी में भी पर्याप्त सबूत नहीं थे. एसपीपी ने आगे प्रस्तुत किया कि दंगों के संबंध में 751 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं, लेकिन किसी में भी उल्लिखित समय के दौरान वाहन क्षति का उल्लेख नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि धारा 173 (8) के तहत आगे की जांच अप्रत्याशित थी और अनुरोध किया कि निचली अदालत के अवलोकनों पर रोक लगा दी जाए.