त्रिपुरा हाईकोर्ट ( Tripura High Court) ने एक व्यक्ति को आजीवन कारावास (Life Imprisonment) की सजा सुनाई है. दोषी व्यक्ति को सजा में किसी प्रकार की राहत (Remission) देने से इंकार किया जिसके चलते उसे आखिरी सांस तक जेल में ही बिताने होंगे. इस व्यक्ति ने साल 2021 में एक पुलिस अधिकारी सहित पांच लोगों की हत्या की थी. सुनवाई के दौरान कहा गया कि दोषी व्यक्ति में अस्थायी पागलपन (Temporary Insanity) के लक्षण मौजूद हैं.
जस्टिस टी अमरनाथ गौड़ और जस्टिस विश्वजीत पालित की बेंच ने इस मामले को सुना. कोर्ट के सामने मौजूद तथ्यों पर विचार कर इस दोषी को एकांत कारावास में रखने की सजा दी है.
कोर्ट ने कहा,
“ अगर याचिकाकर्ता-दोषी को जेल में बंद दूसरे कैदियों के साथ रखने पर ये संभावना है कि वह अपने कृत्य दोहरा सकता है. मौजूदा हालात में कैदी को एकांत में निगरानी के साथ रखने की जरूरत है”
कोर्ट ने दोषी के अस्थायी पागलपन (Temporary Insanity) की स्थिति को दरकिनार करते हुए सजा सुनाई. कोर्ट ने कहा, कार्रवाई के दौरान पुलिस ने कैदी की मानसिक और शारीरिक स्थितियों को गंभीरता से नहीं लिया.
दोषी का नाम देबरॉय है. साल 2021 में, देबरॉय ने पांच लोगों की हत्या कर दी. इन पांच लोगों में उसकी दो बेटियां, एक भाई और एक पुलिस अफसर शामिल है. ट्रायल कोर्ट में केस की सुनवाई हुई. साल 2022 में, ट्रायल कोर्ट ने देबरॉय को मृत्यु दंड (Capital Punishment) की सजा सुनाई.
दोषी ने त्रिपुरा हाईकोर्ट में इस फैसले को चुनौती दी. दोषी की तरफ से पेश हुए वकील ने दलील दिया कि ट्रायल कोर्ट दोषी के मानसिक स्थिति को विचार में नहीं रखा और दोषी के इन कृत्यों को करने का कोई कारण (Motive) नहीं था. हाईकोर्ट ने पाया कि अभियोग पक्ष (Prosecution) ने इस अपराध को सही सिद्ध किया है.
वहीं, कारणों (Motive) की कमी पर, कोर्ट ने निर्णय में कहा कि इससे किए गए अपराधों में कोई बदलाव नहीं हो सकती है. कोर्ट ने मृत्युदंड की सजा में सुधार कर उसे आजीवन कारावास में बदल दिया है, लेकिन उसे किसी प्रकार की छूट (Remission) नहीं दी है.