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झारखंड हथियार जब्ती मामले में NIA Court का बड़ा फैसला, सीपीआई माओवादी के सदस्यों को सुनाया आजीवन कारावास की सजा

झारखंड की NIA Court ने 2012 के सीपीआई (माओवादी) हथियार और गोला-बारूद जब्ती मामले में दो व्यक्तियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. मामले में दोनों आरोपियों को शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1-एए)/35 के तहत अधिकतम 15 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा मिली है.

Written by My Lord Team |Published : December 22, 2024 4:08 PM IST

झारखंड में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक विशेष अदालत ने 2012 के सीपीआई (माओवादी) से जुड़े हथियार और गोला-बारूद जब्ती मामले में दो लोगों को सश्रम आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोनों आरोपियों को अदालत ने विभिन्न अपराधों के लिए दोषी पाते अधिकतम 15 साल की सजा की सुनाई है. बता दें कि यह मामला 2012 में हजारीबाग में स्थानीय पुलिस द्वारा शुरू की गई जांच से जुड़ा है, जिसमें आरोपियों के पास से अमेरिका निर्मित एम-16 राइफल, 14 जिंदा कारतूस और अन्य सामान बरामद हुए. बाद में इस मामले की जांच एनआईए को सौंपा गया था.

हथियार जब्ती मामले में NIA कोर्ट का फैसला

एनआईए स्पेशल कोर्ट ने बिहार के पटना जिले के प्रफुल्ल मालाकार और गया जिले के अनिल कुमार यादव को विभिन्न अपराधों के लिए दोषी पाते हुए 15 साल की कैद के साथ कठोर कारावास और विभिन्न अपराधों के लिए जुर्माने की सजा सुनाई है. मालाकार को आईपीसी की धारा 121 ए, 414, 120(बी) के अलावा यूएपीए की धारा 10(बी)(ii), 20, 17, 18, 13; आर्म्स एक्ट की धारा 25 (1-एए)/35 एवं 26(2); और सीएलए अधिनियम की धारा 17 के तहत अलग-अलग अवधि के लिए कैद और जुर्माने की सजा दी है.

अदालत ने इसी तरह यादव के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए, 386, 387, 120बी के अलावा यूएपीए की धारा 10 (बी)(ii), 20, 18, 13; आर्म्स एक्ट की धारा 25(1-एए)/35; और सीएलए अधिनियम की धारा 17 के तहत सजाएं सुनाई हैं. दोनों आरोपियों को शस्त्र अधिनियम की धारा 25(1-एए)/35 के तहत अधिकतम 15 वर्ष की सश्रम कारावास की सजा दी गई है. आरोपियों की सभी सजाएं एक साथ चलेंगी.

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क्या है मामला?

मामला झारखंड के हजारीबाग से जुड़ा है, जहां स्थानीय पुलिस ने इनपुट के आधार पर अगस्त 2012 में चौपारण के पास सिलोदर जंगल से प्रफुल्ल कुमार मालाकार को ढूंढ़कर गिरफ्तार किया था. पुलिस को उसके पास से एक अमेरिका निर्मित एम-16 राइफल, 14 जिंदा कारतूस, दो मोबाइल फोन और एक बुलेट प्रूफ जैकेट मिला था. मालाकार प्रतिबंधित आतंकी संगठन सीपीआई (माओवादी) की हथियार और गोला-बारूद आपूर्ति इकाई का सदस्य था. आगे की जांच में सीपीआई (माओवादी) के जोनल कमांडर यादव को गिरफ्तार किया गया, जो मालाकार से हथियार खरीदने आया था. पुलिस ने यादव के कब्जे से 9 लाख रुपये, दो मोबाइल फोन, एक 9 एमएम पिस्तौल और दो जिंदा कारतूस जब्त किए थे. एनआईए ने 17 दिसंबर 2012 को स्थानीय पुलिस से मामले की जांच अपने हाथ में ली थी. उसने 2014 और 2017 के बीच मालाकार और यादव के साथ-साथ फरार आरोपी मंटू शर्मा के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दायर किया था.

(खबर IANS से लिखी गई है)