नई दिल्ली: मंगलवार को मॉनसून सत्र के दौरान, राज्यसभा (Rajya Sabha) के लेजिस्लेटिव बिजनेस में छह विधेयक सूचीबद्ध किये गए थे जिनमें से एक 'अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023' (Advocates Amendment Bill, 2023) है, जिसे इस बार सदन में इंट्रोड्यूस किया गया है। इस विधेयक को केन्द्रीय न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल (Arjun Ram Meghwal) जार कर रहे हैं।
'अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023' को सदन में पेश करने का क्या उद्देश्य है, इससे क्या बदलाव लाने की कोशिश की जा रही है और इसके अहम बिंदु क्या हैं, आइए सबकुछ विस्तार से समझते हैं.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि राज्यसभा में केंद्र सरकार ने 'अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023' को इसलिए पेश किया है ताकि 'अधिवक्ता अधिनियम, 1961' (The Advocates Act, 1961) को संशोधित किया जा सके। इतना ही नहीं, इस संशोधन विधेयक के माध्यम से 'कानूनी व्यवसायी अधिनियम, 1879' (The Legal Practitioners Act, 1879) के पुराने और आउटडेटेड प्रावधानों को रद्द भी किया जाएगा।
'अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023' का यह कहना है कि 'कानूनी व्यवसायी अधिनियम, 1879' के तहत 'टाउट' (Touts) को छोड़कर जो भी प्रावधान दिए गए हैं, वो पहले से ही 'अधिवक्ता अधिनियम, 1961' में शामिल हैं; इसलिए इस कानूनी व्यवसायी अधिनियम का अब कोई मतलब नहीं है।
इस विधेयक में यह भी स्पष्ट किया गया है कि 'कानूनी व्यवसायी अधिनियम' की धारा 1, 3 और 26 के अलावा बाकी सभी धाराओं को रद्द किया जा चुका है। इस विधेयक के जरिए 'अधिवक्ता अधिनियम' में 'दलाल' (Tout) होने के कार्य को दंडनीय बनाया जाएगा
'अधिवक्ता संशोधन विधेयक, 2023' के माध्यम से 'अधिवक्ता अधिनियम' में एक नई धारा, धारा 54A जोड़ी जा रही है जिसका शीर्षक 'दलालों की सूची बनाने और प्रकाशित करने की शक्ति' (Power to Frame and Publish Lists of Touts) है।
इस धारा से 'दलाल' (Tout) होना एक दंडनीय अपराध होगा जिसमें तीन महीने तक की जेल की सजा सुनाई जा सकती है, पांच सौ रुपये का आर्थिक जुर्माना लगाया जा सकता है या फिर इन दोनों का भुगतान करना पड़ सकता है।
इस धारा के तहत उच्च न्यायालय, जिला न्यायाधीश, सत्र न्यायाधीश, जिला अधिकारी और राजस्व अधिकारियों जैसे तमाम प्राधिकारियों को यह शक्ति मिली है कि वो उन लोगों के नामों की सूची बनाएं और प्रकाशित करें, जिनके लिए यह साबित किया जा सकता है कि वो दलाल हैं। इस लिस्ट को जरूरत के हिसाब से संशोधित भी किया जा सकता है।
इस विधेयक में यह भी समझाया गया है कि अगर कानूनी व्यवसाइयों (Legal Practitioners) के संगठन के सदस्यों की बहुमत, इस कारण के लिए बुलाई गई विशेष बैठक में यह प्रस्ताव पारित करती है कि एक व्यक्ति दलाल है या नहीं है, तो इसे यह सामान्य प्रतिष्ठा के साक्ष्य के रूप में माना जाएगा।
इस विधेयक के अनुसार 'दलाल' या 'टाउट' वो व्यक्ति है जो पारिश्रमिक (remuneration) के लिए, एक कानूनी व्यवसायी को या लीगल बिजनेस में दिलचस्पी रखने वाली किसी पार्टी को एक दूसरे कानूनी व्यवसाय के रोजगार की सलाह देता है। यह वो लोग हैं जो इस तरह की गतिविधियों के लिए अक्सर कोर्ट परिसर, रेविन्यू ऑफिसेज, रेलवे स्टेशन्स और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नजर आते हैं।