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जी एन साईबांबा को बरी करने का फैसला SC ने किया खारिज, मामले पर फिर से सुनवाई के लिए भेजा Bombay HC को

14 अक्टूबर 2022 को Bombay High Court ने DU के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को बरी कर दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के कुछ ही देर बाद ही एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

Written by Nizam Kantaliya |Published : April 19, 2023 12:24 PM IST

नई दिल्ली: माओवादियों से संबंध रखने के मामले में प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को बरी करने के बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने मामले को फिर से बॉम्बे हाईकोर्ट भेजते हुए कहा कि नई बेंच नए सिरे से मामले पर सुनवाई कर फैसला सुनाए.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर नई बेंच के फैसले के लिए चार माह का भी समय दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2022 में बॉम्बे हाईकोर्ट द्वारा जी एन साईबाबा को बरी करने के फैसले को निलंबित कर दिया था और मामले पर अंतिम निर्णय के लिए सुनवाई कर रहा था.

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बुधवार को एनआईए की याचिका पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया, जिसमें दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर जीएन साईंबाबा को माओवादियों से कथित संबंध मामले में बरी कर दिया गया था।

जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रविकुमार की खंडपीठ ने सभी दलीलों को सुनने के बाद मामले को नए सिरे से सुनवाई के लिए हाईकोर्ट को वापस भेज दिया है.

Bombay HC ने किया था बरी

दिल्ली विश्वविद्यालय के निलंबित प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा को ट्रायल कोर्ट ने साल 2017 में नक्सलियों से संबंध का दोषी ठहराते हुए उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई थी.

बॉम्बे हाईकेार्ट के जस्टिस रोहित देव और जस्टिस अनिल पंसारे की बेंच ने ट्रायल कोर्ट के फ़ैसले को पलटते हुए साईबाबा को बरी कर दिया था. प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा समेत पांच अन्य को भी अदालत ने रिहा करने का आदेश दिया है.

गौरतलब है कि 14 अक्टूबर 2022 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर जी एन साईबाबा को बरी कर दिया था. बॉम्बे हाईकोर्ट के इस फैसले के कुछ ही देर बाद ही एनआईए ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी.

प्रोफ़ेसर जीएन साईबाबा बतौर सामाजिक कार्यकर्ता, रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट नाम की एक संस्था से भी जुड़े रहे हैं. वे 'रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट' के उपसचिव रहे हैं.