Patna High Court On Bihar Police's Action: हाल ही में पटना हाईकोर्ट ने पुलिस की कार्यवाही के तरीके से नाराजगी जताई है. उच्च न्यायालय ने कहा कि पुलिस पूरे जतन से शराबबंदी कानून लागू करवाने में लगी है, दूसरे अपराधों की कोई सुध भी नहीं है. वहीं, शराब मामले में एक -दो लीटर शराब पकड़कर ही खुद को शेर समझने में लगी है लेकिन बड़े शराब सिडिकेंट को नहीं पकड़ पा रही. पटना हाईकोर्ट ने भोजपुर पुलिस को फटकार 11 माह से लापता बच्ची की खोज नहीं कर पाने को लेकर हुई है. बता दें कि पटना हाईकोर्ट आरोपी के पिता की याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे एक बच्ची के अपहरण मामले में गिरफ्तार किया गया है. पिता ने पटना हाईकोर्ट से आरोपी बेटे के लिए अग्रिम जमानत याचिका की मांग की थी,
पटना हाईकोर्ट में जस्टिस सत्यव्रत वर्मा की एकल पीठ ने भोजपुर एसपी से लापता बच्ची का पता लगाने के लिए उठाए गए एक्शन की जानकारी मांगी है.
अदालत ने पूछा कि पिछले ग्यारह महीने में पुलिस ने क्या कार्रवाई की है?
हिदुस्तान की रिपोर्ट के मुताबिक, भोजपुर एसपी ने अदालत को बताया कि उनका तबादला पिछले महीने ही हुआ है. अधिकारी ने अदालत को बताया कि पुलिस बच्ची के सोशल एकाउंट और लोकेशन को खंगाल रही है.
अदालत ने भोजपुर एसपा से आगे पूछा कि ये कार्रवाई आपके आने के बाद हुई है, उससे पहले की रिपोर्ट कहां है?
बहस के दौरान, अदालत के समक्ष केस की जांच अधिकारी (I.O) भी मौजूद थी. वे भी अदालत के सामने कुछ ठोस जवाब नहीं दे पाई.
जवाब नहीं मिलने और पुलिस की कार्रवाई से अदालत ने चिंता जताते हुए कहा कि ऐसे दक्षता वाले पुलिस अधिकारी से क्राइम कैसे रूकेगी?
अदालत ने कहा,
" दरोगा, हवलदार तो केवल शराब पकड़ने में लगे है. नाबालिगों का अपहरण, महिलाओं के गले से चैन का छीनना जैसे अपराध दिन-प्रतिदिन सुनने को मिल रहे हैं. उस पर कार्रवाई नहीं हो रही है. पुलिस एक दो लीटर शराब पकड़कर खुद को शेर समझने में लगी है. प्राथमिकी (FIR) पढ़ने पर ऐसा प्रतीत होता है कि हिस्ट्रीशीटर या दुर्दांत अपराधी को पकड़ लिया हो."
अदालत ने सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस, भोजपुर से आगे की कार्रवाई को लेकर जवाब तलब की तो एसपी ने बताया कि वे एक माह के भीतर लापता बच्ची का पता लगा लेंगे.