देर रात साढ़े बजे के करीब वक्फ संशोधन बिल को लोकसभा से पारित कर दिया गया है. वक्फ बिल के समर्थन में 288 वोट पड़े हैं, वहीं इस बिल के विरोध में 232 वोट पड़े हैं. लोकसभा से बिल पारित होने के बाद इसे आज राज्यसभा में लाया जाएगा. फाइनल वोटिंग से पहले अससुद्दीन ओवैसी ने बिल को फाड़ दिया, मौजूद सपा एमपी जिया उर्र रहमान ने भी सवाल उठाते हुए कहा कि क्यों सरकार मुस्लिमों का भला करना चाहती है, जबकि उनके पास एक भी मुस्लिम सांसद नहीं है.
वक्फ बिल संशोधन अधिनियम सदन के पटल पर रखा जा चुका है. बिल को लेकर बारी-बारी से सदन के सदस्य बारी-बारी से अपनी बात कह रहे हैं. इस दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने भी वक्फ बिल को लेकर अपना संबोधन दिया. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस तरह से भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं तो मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि वक्फ मुस्लिम भाइयों की धार्मिक क्रिया-क्लाप और उनके बनाए हुए दान से ट्रस्ट है... उसमें सरकार कोई दखल नहीं देना चाहती है. मुतवल्ली भी उनका होगा, वाकिफ भी उनका होगा, वक्फ भी उनका होगा.
सदन के बीच सपा प्रमुख अखिलेश यादव की बोलने के बारी आई, उन्होंने अध्यक्ष ओम बिरला के माध्यम से सदन को कहा कि महोदय, जो पार्टी विश्व की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है, वह अब तक अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं ढूंढ़ पाई है. इस पर केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जबाव दिया. गृहमंत्री ने कहा कि महोदय, हमारी पार्टी में 12 करोड़ सदस्य है, जिनमें से हमे राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना है. वहीं, अखिलेश जी को पांच सदस्यों में से किसी को राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना है. मैं कहता हूं कि आप (अखिलेश यादव) अगले 25 वर्ष तक अपनी पार्टी के अध्यक्ष रहेंगे.
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 बुधवार को निचले सदन लोकसभा में पेश होगा. इस पर चर्चा के लिए स्पीकर ओम बिरला ने 8 घंटे का समय निर्धारित किया है. बिल पर बहस के लिए सत्ताधारी गठबंधन को 4 घंटे 40 मिनट का समय दिया गया है. राज्यसभा में इस विधेयक पर बृहस्पतिवार को चर्चा होने की उम्मीद है तथा दोनों सदनों को प्रस्तावित कानून पर बहस के लिए आठ-आठ घंटे का समय आवंटित किया गया है. वक्फ अधिनियम, 1995 में पहली बार संशोधन नहीं किया जा रहा है. इस कानून में 2013 में यूपीए की सरकार के समय भी संशोधन हुए थे.
लोकसभा में एनडीए के पास 293 सांसद है. इंडिया गठबंधन के पास 235 सांसद है. बहुमत का नंबर 273 है. विपक्ष अब तक इस जुगत में है कि अगर टीडीपी (16 सांसद) और जदयू (12 सांसद) अपना वक्फ बोर्ड पर समर्थन वापस लेंले, तो कुछ मजबूत विरोध दिखा सकें.
राज्यसभा में कुछ सीटें 245 हैं. बहुमत के लिए 123 सीटें चाहिए. इसमें कुछ सीटें अभी खाली भीं है. इसमें एनडीए के पास 112 सीटें है. 96 सीट बीजेपी के पास खुद है. वहीं, एक निर्दलीय और छह मनोनीत सदस्यों का समर्थन भी प्राप्त है.
केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने संवाददाताओं से कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति (Business of the House Committee) की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है. बैठक में विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के प्रारंभिक संकेत तब दिखाई दिए जब विपक्षी गठबंधन ‘इंडिया’ के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया है.
कांग्रेस ने मंगलवार को पार्टी के सभी लोकसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर अगले तीन दिनों तक सदन में उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया. सूत्रों ने यह जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस ने तीन पंक्ति का व्हिप तब जारी किया, जब सरकार ने स्पष्ट किया कि विवादास्पद वक्फ (संशोधन) विधेयक बुधवार को चर्चा और पारित कराने के लिए लोकसभा में लाया जाएगा. लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के मुख्य सचेतक के. सुरेश ने जारी किया है.
लोकसभा में बहस के लिए भाजपा, कांग्रेस, जदयू, टीडीपी समेत पार्टियों ने अपने सांसदों के लिए व्हिप जारी कर दिया है. मंगलवार को संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने दोहराया कि सरकार बिल पर चर्चा चाहती है और इस पर सभी राजनीतिक दलों को बोलने का अधिकार है. देश भी जानना चाहता है कि किस पार्टी का क्या स्टैंड है. उन्होंने यह भी कहा कि अगर विपक्ष चर्चा में शामिल नहीं होना चाहता तो ऐसा रोकने से उन्हें कोई रोक भी नहीं सकता.
विपक्षी दलों ने संसद भवन में बैठक की, जिसमें इस विवादास्पद विधेयक को लेकर रणनीति पर चर्चा की गई. बैठक में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल, समाजवादी पार्टी के नेता राम गोपाल यादव, राकांपा नेता सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और आप के संजय सिंह शामिल हुए. बैठक में द्रमुक के टी आर बालू, तिरुचि शिवा और कनिमोई, राजद के मनोज कुमार झा, माकपा के जॉन ब्रिटास, भाकपा के संदोष कुमार पी, आरएसपी के एन के प्रेमचंद्रन और वाइको भी उपस्थित थे.
वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 के उद्देश्यों और कारणों के विवरण में कहा गया है कि वर्ष 2013 में अधिनियम में व्यापक संशोधन किए गए थे. संशोधनों के बावजूद, यह देखा गया है कि राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण, अतिक्रमणों को हटाने, वक्फ की परिभाषा सहित संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए अधिनियम में अब भी और सुधार की आवश्यकता है. 2013 में अधिनियम में संशोधन न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों और वक्फ और केंद्रीय वक्फ परिषद पर संयुक्त संसदीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर और अन्य हितधारकों के साथ विस्तृत परामर्श के बाद किया गया था. विधेयक 2024 का एक प्रमुख उद्देश्य वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995 करना है.
बता दें, केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड एक्ट में करीब 40 बदलाव करना चाहती है. एक अहम बदलाव वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों का प्रवेश हो सकता है. इसका मकसद महिलाओं और अन्य मुस्लिम समुदाय की सहभागिता को बढ़ाना है. साथ ही नए बिल में बोर्ड पर सरकार का नियंत्रण बढ़ाया जा सकता है. विधेयक पर चर्चा और उसके बाद उसे मंजूरी मिलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार द्वारा निचले सदन में एनडीए की संख्यात्मक श्रेष्ठता का दावा करने के लिए शक्ति प्रदर्शन के अवसर के रूप में भी देखा जा रहा है.