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मालेगांव ब्लास्ट केस में NIA Court ने सभी आरोपियों को किया बरी, कहा- 'साध्वी प्रज्ञा-कर्नल पुरोहित के खिलाफ नहीं मिले कोई सबूत'

एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया है. अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष इस मामले को शक के परे साबित करने में साबित करने में विफल रहा है.

Malegaon Bomb-Blast

Written by Satyam Kumar |Published : July 31, 2025 12:00 PM IST

मालेगांव ब्लास्ट केस में एनआईए कोर्ट(NIA Court) ने सभी आरोपितों को बरी कर दिया है. अदालत ने अपने फैसले में कहा कि साध्वी प्रज्ञा-कर्नल पुरोहित के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं. इस आधार पर एनआईए कोर्ट ने सभी आरोपियों को बेनिफिट ऑफ डाउट देते हुए उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया है. इस मामले में कोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, सुधाकर द्विवेदी, सुधाकर चतुर्वेदी, अजय राहिरकर, कर्नल प्रसाद पुरोहित, समीर कुर्लकर्णी और मेजर रमेश उपाध्याय सहित सभी आरोपियों को बरी कर दिया है. बता दें कि 29 सितंबर 2008 को Malegaon शहर में एक मस्जिद के पास एक दोपहिया वाहन पर लगाए गए. इस विस्फोटक उपकरण के विस्फोट से छह लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हुए थे. इस विस्फोट मामले की प्रारंभिक जांच महाराष्ट्र एटीएस द्वारा की गई थी, जिसे 2011 में एनआईए को सौंप दिया गया था.

आज जब एनआईए कोर्ट फैसला सुनाने के लिए बैठी तो साध्वी साध्वी को सुनने में दिक्कत हो रही थी, जिस वजह से उन्हें अक्यूज्ड बॉक्स की बजे उन्हें कोर्ट ने विटनेस बॉक्स में बैठाने की अनुमति दी. उसके बाद जज ने फैसला सुनाते हुए आरोपियो ने कहा था की एटीएस कालाचौकी पुलिस स्टेशन नहीं है इसलिए FIR गलत है, जिसे कोर्ट नकारती है. कोर्ट के मुताबिक एटीएस पुलिस स्टेशन है. सरकारी पक्ष ये साबित करने में सफल रहा की जो घायल हुए और मारे गए ये सभी बॉम्ब ब्लास्ट में मारे गए थे, लेकिन अभियोजन पक्ष यह साबित करने में असफल रहा कि प्रसाद पुरोहित के घर में बॉम्ब तैयार किया गया था, साथ ही जो फॉरेंसिक एविडेंस मिले वो कंटीमिनेटड थे जिसे कोर्ट में नहीं माना जा सकता.

जज ने फैसला सुनाते हुए कहा कि साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ही बाइक की ओनर थी ये साबित नहीं किया जा सका. फरीदाबाद और भोपाल में साजिश हुआ इसे साबित करने के लिए रिलाएबल विटनेस नहीं था. आरोपियों की आवाज जो रिकॉर्ड हुआ वो भी शक के परे नहीं है. इसके अलावे यूएपीए (UAPA) के दो सैंक्शन ऑर्डर दिए गए थे वो कोर्ट की नज़र में वैलिड नहीं थे, याने की सभी यूएपीए सेक्शन इस मामले में अप्लिकेबल नहीं थे. अजय राहिरकर और प्रसाद पुरोहित अभिनव भारतीय से जुड़े थे. इसको लेकर कुछ ट्रांजकेशन हुए थे. लेकिन ये साबित नहीं हुआ की ये अमाउंट धमाके के लिए इस्तेमाल किए गए थे. एनआईए कोर्ट ने आरोपियों को बेनिफिट डाउट देते हुए बरी किया. अदालत ने कहा कि सभी को मोरल ग्राउंड में कन्विक्ट नहीं किया जा सकता और इस मामले को बियोंड रीजनेबल डाउट प्रूव नहीं कर सका है.

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