नई दिल्ली: स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा (Sex Education) को शामिल किया जाए, केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) ने हाल ही में राज्य सरकार से यह बात कही है। इसके पीछे की वजह क्या है और अदालत ने क्या कहा है, आइए जानते हैं.
केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश पी वी कुन्हिकृष्णन (Justice PV Kunikrishnan) ने हाल ही में एक मामले में फैसला सुनाते समय राज्य सरकार से कहा कि राज्य के सभी विद्यालयों और कॉलेजों में यौन शिक्षा दी जानी चाहिए; सुरक्षित यौन शिक्षा की सीख बच्चों को मिलना जरूरी है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जस्टिस कुन्हिकृष्णन की कोर्ट में एक मामला आया जिसमें याचिकाकर्ता अपनी नाबालिग बेटी की प्रेग्नेंसी को टर्मिनेट करना चाहते थे, जिसे उसके खुद के भाई ने गर्भवती किया था।
याचिका को खारिज करते हुए जस्टिस कुन्हिकृष्णन ने यह ऑब्जर्व किया कि इस तरह की घटनाओं के पीछे एक बड़ा कारण देश में यौन शिक्षा की कमी है। अदालत ने कहा कि इस तरह के मामलों में माता-पिता को दोषी नहीं ठहराया जा सकता है लेकिन एक समाज की तरह, हम इसके लिए जिम्मेदार हैं।
अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाओं की एक बड़ी वजह देश में यौन शिक्षा की कमी है। साथ ही कहा कि अदालत का मानना है कि सरकार को स्कूल और कॉलेज में यौन शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बारे में गंभीरता से सोचना चाहिए।
केरल उच्च न्यायालय ने यह भी कह दिया कि अगर सरकार चाहे तो राज्य के सभी स्कूल और कॉलेज के पाठ्यक्रम में 'सेफ सेक्स एजुकेशन' शामिल करने के लिए एक समिति का भी गठन किया जा सकता है।
इस मामले में दिए गए ऑर्डर की एक प्रति को केरल राज्य के प्रमुख सचिव को भी भेजने का आदेश दिया गया है जिससे जरूरी कार्यवाही की जा सके।