कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के मुख्य न्यायाधीश टी एस शिवगणनम (Chief Justice TS Sivagnanam) और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य (Justice Hiranmay Bhattacharyya) की खंडपीठ ने विषय पर उचित शोध के बिना राज्य में 'आदिपुरुष' पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली जनहित याचिका दायर करने पर याचिकाकर्ता के वकील की खिंचाई की।
न्यायमूर्ति शिवगणनम ने, विशेष रूप से, याचिकाकर्ता के दावों का खंडन किया कि जनहित याचिका में सभी संबंधित पक्षों को नोटिस दिया गया है और बताया कि कुछ उत्तरदाताओं को नोटिस देने की प्रक्रिया छूट गई है।
समाचार एजेंसी आईएएनएस (IANS) के अनुसार, न्यायमूर्ति शिवगणनम ने यह भी कहा कि अदालत को जानबूझकर प्रदान की गई ऐसी गलत जानकारी के परिणामस्वरूप 'बार पर बेंच का विश्वास हिल सकता है'। उन्होंने यह भी कहा कि अदालत को इस तरह की गलत सूचना देने से यह निर्देश मिलेगा कि सेवा का कोई भी हलफनामा तब तक नहीं दिया जाएगा जब तक कि इसकी सामग्री और संलग्नक संबंधित विभाग द्वारा सत्यापित न हो जाएं।
न्यायमूर्ति शिवगणनम ने याचिकाकर्ता वकील से कहा, "इस अदालत का उपयोग जांच करने के लिए न करें।" इतना ही नहीं, अदालत ने याचिकाकर्ता से यह भी पूछा है कि फिल्म आदिपुरुष (Adipurush) पर रोक लगाने हेतु दायर यह याचिका एक 'पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन' है या ये एक 'पब्लिसिटी इंटरेस्ट लिटिगेशन' है?"
हालांकि खंडपीठ जनहित याचिका पर सुनवाई करने को तैयार हो गई। कलकत्ता उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील कौशिक गुप्ता ने आईएएनएस को बताया कि सेवा के किसी भी हलफनामे में दी गई गलत सूचना एक अक्षम्य अपराध है।
गुप्ता ने कहा, "भारतीय दंड संहिता की कुछ धाराओं के अनुसार, सेवा के शपथ पत्र में गलत जानकारी देने वाले को छह महीने तक की कैद हो सकती है।"
25 जून को, देबदीप मंडल, जो खुद कलकत्ता उच्च न्यायालय के वकील हैं, ने राज्य में 'आदिपुरुष' की स्क्रीनिंग पर प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए जनहित याचिका दायर की थी। याचिका में, मंडल के वकील तन्मय बसु ने दावा किया कि हालांकि फिल्म महान भारतीय महाकाव्य रामायण से प्रेरित है, लेकिन वास्तव में पौराणिक महाकाव्य में चित्रित घटनाओं को फिल्म में विकृत किया गया है।
फिल्म की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने की मांग वाली एक ऐसी ही जनहित याचिका राजस्थान उच्च न्यायालय में भी दायर की गई है। अखिल भारतीय हिंदू महासभा ने पिछले दिनों लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज कराई थी। ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन ने 'आदिपुरुष' की स्क्रीनिंग पर रोक लगाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।