Advertisement

सिर्फ एक या और भी लोग इसमें शामिल हैं? RG KAR Rape Case में कलकत्ता हाई कोर्ट ने CBI को साफ बताने को कहा

कलकत्ता हाई कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को अदालत के समक्ष यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह 'बलात्कार' का मामला था या 'सामूहिक बलात्कार' का.

Written by Satyam Kumar |Published : March 25, 2025 10:55 AM IST

कोलकाता स्थित आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ हुई हैवानियत के मामले में कोर्ट ने सीबीआई को पूरी रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है. कलकत्ता हाई कोर्ट की एकल पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को निर्देश दिया है कि वह अदालत को स्पष्ट करे कि कोलकाता में सरकारी आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल की महिला डॉक्टर 'बलात्कार' या 'सामूहिक बलात्कार' की शिकार थी, साथ ही मामले की डायरी भी पेश करे. सोमवार को यह मामला जब जस्टिस तीर्थंकर घोष की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया, तो जस्टिस ने कहा कि चूंकि एक व्यक्ति (नागरिक स्वयंसेवक संजय रॉय) को पहले ही बलात्कार और हत्या के अपराध के लिए दोषी ठहराया जा चुका है और उसे सजा सुनाई जा चुकी है, इसलिए केंद्रीय एजेंसी को यह स्पष्ट करना चाहिए कि अपराध में एक या उससे अधिक लोग शामिल थे या नहीं. उन्होंने आगे कहा कि सीबीआई को अदालत के समक्ष यह स्पष्ट करना चाहिए कि यह 'बलात्कार' का मामला था या 'सामूहिक बलात्कार' का. उन्होंने सीबीआई को अगली सुनवाई तक मामले की केस डायरी अदालत में पेश करने का भी निर्देश दिया.

कोर्टरूम आर्गुमेंट

कोलकाता हाई कोर्ट में पश्चिम बंगाल के आरजी कर बलात्कार और हत्या मामले की सुनवाई के दौरान पीड़ित पक्ष ने सीबीआई के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (SP) रैंक के अधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) बनाने की मांग की. पीड़ित परिवार के वकील ने कोलकाता हाई कोर्ट से यह भी अनुरोध किया कि सीबीआई से एक स्थिति रिपोर्ट (Status Report) मांगी जाए. अनुरोध सुनने के बाद जस्टिस ने कहा, "चार्जशीट में साफ लिखा है कि जांच सीबीआई के अतिरिक्त एसपी रैंक के अधिकारी द्वारा ही की जा रही है. क्या आपने आरोपपत्र (Chargesheet) की जांच की है?" आगे जज ने सीबीआई से पूछा, "इस कोर्ट के सामने केस डायरी पेश करें और यह स्पष्ट करें कि क्या आप सामूहिक बलात्कार के आरोप और सबूतों को नष्ट करने की जांच कर रहे हैं." इस पर अधिवक्ता ने कहा कि इस मामले में दोषी को भी पक्षकार बनाना चाहिए. जस्टिस ने सीबीआई से फिर पूछा, "आप केस डायरी, स्थिति रिपोर्ट और सभी सामग्रियां इस कोर्ट के सामने कब पेश कर सकते हैं?" इस पर सीबीआई के वकील ने कहा कि अगले सप्ताह तक इसे पेश किया जाएगा.

वहीं, बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वकील कल्याण बनर्जी ने सीबीआई पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि सीबीआई इतनी धीमी गति से क्यों काम कर रही है? इसमें देरी क्यों हो रही है? पहले सीबीआई बहुत तेजी से काम करती थी, अब धीमी क्यों हो गई है? इस पर सीबीआई ने कहा कि यह सही नहीं है. कल्याण बनर्जी ने कहा कि सीबीआई लगभग एक साल से ऐसा कर रही है! क्यों? देश जानना चाहता है. कृपया इसे अगले शुक्रवार को तय करें. सबूत दें. उन्होंने आगे कहा कि कृपया इसे रिकॉर्ड पर दर्ज करें कि अगर अदालत आगे की जांच के लिए आदेश देती है तो इस राज्य को कोई आपत्ति नहीं है.

Also Read

More News

लीगल सर्विस की ओर से कहा गया, "कृपया दोषी को भी इस मामले में पक्ष बनाएं, क्योंकि अगर कोर्ट कोई आदेश देता है तो इससे दोषी को नुकसान हो सकता है. यह उसका अधिकार है. सीबीआई ने कहा कि अब वह पक्ष नहीं बन सकता, दोषी को यह अधिकार नहीं है. इस पर बाद जज ने लीगल एड प्रदान कर रहे वकील से कहा कि पहले अपने अधिकार दिखाएं, फिर इस पर विचार होगा. मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस तीर्थंकर घोष ने कहा, "सीबीआई 28 मार्च को सुनवाई की अगली तारीख पर केस डायरी पेश करेगी. केस डायरी और स्थिति रिपोर्ट को पहले कोर्ट में जमा करना होगा. यह कोर्ट इस मामले की सुनवाई फिर से 28 मार्च को करेगा."

वहीं, पीड़ित परिवार के वकील शमीम अहमद ने बताया कि एक कानूनी उलझन थी कि क्या हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई कर सकता है, जबकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है. अब सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि हाई कोर्ट हमारी याचिका पर सुनवाई कर सकता है. तो, आज के मामले के हिसाब से कोर्ट ने सीबीआई को रिपोर्ट देने और केस डायरी जमा करने का आदेश दिया है. इससे कोर्ट यह जान सकेगा कि सीबीआई ने जांच में क्या-क्या किया है.

पीड़िता की मां को विश्वास, घटना में एक से अधिक लोग

समाचार एजेंसी आईएएनएस से सोमवार को बात करते हुए पीड़िता की मां ने कहा कि सीबीआई अब तक सही तरीके से जांच नहीं कर पाई है. हमने शुरू से ही यह कहा था कि संजय रॉय मेरी बेटी की हत्या का अकेला आरोपी नहीं है. मेरी बेटी को अस्पताल में बहुत ज्यादा यातनाएं दी गई थीं. मेरी बेटी ने नकली दवाइयां और इंजेक्शन, नकली सलाइन लेने से मना कर दिया था, जिसकी वजह से उसे बहुत कष्ट सहना पड़ा और अंततः उसकी मृत्यु हो गई. वह खुद समझ नहीं पाई और हम भी यह समझ नहीं पाए कि उस पर कोई इस हद तक अत्याचार कर सकता है. यह एक संस्थागत हत्या है, जिसमें उसकी सहकर्मी, वीपी, संदीप घोष और अन्य लोग शामिल हैं. पीड़िता की मां ने आगे कहा कि राज्य सरकार की तरफ से कभी कुछ स्पष्ट नहीं कहा गया है. कभी कहते हैं कि कोई आपत्ति नहीं है, कभी कहते हैं कि आपत्ति है. 9 अगस्त के बाद से राज्य सरकार की तरफ से हमेशा कोई न कोई अड़चन डाली गई है, क्योंकि मेरी बेटी सरकारी कर्मचारी थी और ड्यूटी के दौरान ही उसकी मृत्यु हो गई। इसीलिए, यह स्वास्थ्य मंत्री और मुख्यमंत्री की पूरी जिम्मेदारी बनती थी कि वे यह जानें कि इस मामले में कौन लोग शामिल हैं. लेकिन हम पहले दिन से ही देख रहे हैं कि इस मामले को ढकने की कई कोशिश की जा रही हैं. उन्होंने आगे कहा कि इस मामले को कोई भी छुपा नहीं पाएगा, हम लगातार प्रयास करते रहेंगे. हो सकता है कि थोड़ी देर हो, लेकिन हम न्याय जरूर पाएंगे.