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जज को परेशान करनेवाले 21 वकीलों की मुश्किलें बढ़ी, कलकत्ता हाई कोर्ट ने जारी अवमानना नोटिस

अदालत की कार्यवाही के दौरान एक जज को परेशान करने के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने 21 वकीलों के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया है.

Written by Satyam Kumar |Published : March 11, 2025 10:51 AM IST

कलकत्ता हाई कोर्ट ने 21 वकीलों के खिलाफ 'अवमानना' का नोटिस जारी किया है. इन वकीलों में एक पब्लिक प्रोसीक्यूटर भी शामिल है. यह घटना एक अतिरिक्त जज द्वारा कोलकाता के बसीरहाट जिला अदालत में POCSO अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान हुई. जब कोलकाता हाई कोर्ट ने इस मामले की वीडियो क्लिपिंग देखी, तो वकीलों द्वारा जज को परेशान करने का मामला सामने आया. हाई कोर्ट ने संबंधित जिला अदालत के बार संघ से आरोपी वकीलों के विवरण मांगे हैं और अनुशासनात्मक कार्यवाही की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए हैं.

वार्निंग देने पर जज को किया परेशान

वकीलों के खिलाफ यह कार्रवाई कोलकाता के एक जिला अदालत के अतिरिक्त न्यायाधीश को कथित रूप से परेशान करने के लिए की गई है. यह मामला उस समय सामने आया जब बसीरहाट जिला अदालत में बाल यौन अपराधों से संरक्षण (POCSO) अधिनियम से संबंधित एक मामले की सुनवाई हो रही थी. संबंधित मामले के वकील, जिसमें पब्लिक प्रोसीक्यूटर भी शामिल थे, वे सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हुए, जिसे लेकर जज ने एक वार्निंग जारी किया. इसके बाद, उन वकीलों के एक समूह द्वारा जज को कथित रूप से परेशान किया गया. इस घटना को कोलकाता हाई कोर्ट में उठाया गया.

कोलकाता हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच, जिसमें जस्टिस देबांग्शु बसाक और जस्टिस शब्बार राशिदी शामिल थे, ने इस मामले की सुनवाई की. अदालत के सामने रखे गए वीडियो क्लिपिंग्स को भी judges ने देखा. डिवीजन बेंच ने यह स्पष्ट किया कि POCSO से संबंधित मामले में पब्लिक प्रोसीक्यूटर (सरकारी वकील) की अनुपस्थिति अस्वीकार्य है, क्योंकि इससे पीड़ित बच्चे को न्याय मिलने में देरी होती है.

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अवमानना का नियम

सूत्रों के अनुसार, अब तक इन वकीलों के खिलाफ अवमानना का नियम जारी किया जा चुका है. आने वाले दिनों में इस मामले की सुनवाई अदालत में होगी, और सुनवाई के आधार पर आरोपित वकीलों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने का निर्णय लिया जाएगा.

कोलकाता हाई कोर्ट ने संबंधित जिला अदालत के बार एसोसिएशन से आरोपित वकीलों के विवरण भी मांगे हैं. साथ ही अब तक कानूनी सर्कल में इस तरह की घटना की कोई पूर्व मिसाल नहीं मिलती है, जहां एक ही मामले में इतने सारे वकीलों के खिलाफ एक साथ अवमानना का नियम जारी किया गया हो. कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि POCSO मामले में सार्वजनिक अभियोजक की अनुपस्थिति एक असामान्य घटना है, खासकर तब जब राज्य सरकार ऐसे मामलों में त्वरित सजा और दोषी को सजा दिलाने के लिए इतनी अग्रसर  है.