मुंबई के बाहरी इलाके मीरा भायंदर में अवैध होर्डिंग को लेकर उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश अभय ओका के कड़ी आपत्ति जताए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर पुलिस ने अनधिकृत बैनरों के संबंध में एक व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया है. एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि मीरा-भायंदर, वसई-विरार नगर निगम के ‘एंटी-हॉकर’ दस्ते की शिकायत पर शनिवार को राजाराम निनावे नाम के व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया. जस्टिस ओका ने शनिवार को अवैध होर्डिंग की संस्कृति पर नाराजगी जताई और कहा कि बॉम्बे उच्च न्यायालय पहले ही आदेश दे चुका है कि इन्हें लगाने के लिए पूर्व अनुमति आवश्यक है. इसके कुछ घंटों बाद काशीगांव पुलिस ने अदालत भवन के उद्घाटन से संबंधित अवैध होर्डिंग लगाने के लिए निनावे पर मामला दर्ज किया. अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र संपत्ति विरूपण रोकथाम अधिनियम के तहत उसके खिलाफ आरोप लगाए गए हैं.
बीते कल कार्यक्रम में, जस्टिस अभयओका ने कार्यक्रम स्थल पर बैनरों की उपस्थिति पर संतोष व्यक्त किया, लेकिन उन्हें बाद में बताया गया कि ये सभी बैनर अवैध थे. जस्टिस अभय ओका ने अपने भाषण की शुरुआत में पोस्टर-बैनरों की संस्कृति पर चिंता जताई और कहा कि बंबई हाई कोर्ट ने पहले ही निर्देश दिया है कि किसी भी बैनर या होर्डिंग को लगाने से पहले स्थानीय प्रशासन से अनुमति लेना आवश्यक है, फिर भी कई बैनर-पोस्टर बिना अनुमति के लगाए गए हैं.
जस्टिस ने कहा,
"बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि बिना पूर्व अनुमति के कोई भी बैनर या होर्डिंग नहीं लगाया जाना चाहिए, लेकिन इनमें से किसी भी होर्डिंग पर अनिवार्य अनुमति संख्या नहीं थी, यानी ये अवैध हैं."
उन्होंने स्थानीय नगर निकाय से ऐसे बैनरों को तुरंत हटाने की अपील की.
कार्यक्रम के शुभारंभ के दौरान हुई धक्का-मुक्की के बारे में जस्टिस ने कहा कि उन्होंने देखा कि एक अनियंत्रित भीड़ कई महिलाओं को धक्का दे रही थी. उन्होंने इस अनुशासनहीनता पर खेद व्यक्त किया और मीडिया प्रतिनिधियों तथा अन्य उपस्थित लोगों को चेतावनी दी. जस्टिस अभय एस ओका ने यह भी सवाल उठाया कि यदि भविष्य में ऐसी अनुशासनहीनता जारी रहती है, तो क्या न्यायपालिका से संबंधित कार्यक्रमों में मीडिया प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए.
जस्टिस ने कहा,
"यह राजनीतिक या अभिनेताओं से जुड़ा कार्यक्रम नहीं है. यह न्यायपालिका का कार्य है जिसमें अनुशासन अनिवार्य है. मीडिया पेशेवरों को ऐसे कार्यक्रमों में शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए."
उन्होंने यह भी कहा कि न्यायपालिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विशेष रूप से मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.