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स्वागत में लगे पोस्टर बैनर की भरमार देखकर नाराज हुए जस्टिस अभय ओका, मीडियाकर्मियों के 'रवैये' पर भी उठाया सवाल

इस दौरान जस्टिस अभय ओका ने सवाल किया कि यदि धक्का-मुक्की करने की ऐसी अनुशासनहीनता जारी रहती है, तो क्या ज्यूडिशियरी से संबंधित कार्यक्रमों में मीडिया को आमंत्रित किया जाना चाहिए.

जस्टिस अभय एस ओका

Written by Satyam Kumar |Published : March 9, 2025 8:21 PM IST

सुप्रीम कोर्ट जस्टिस अभय एस ओका (Justice Abhay S Oka) मीरा भायंदर में एक मजिस्ट्रेट कोर्ट के उद्घाटन में मुंबई पहुंचे थे. जस्टिस ने कार्यक्रम के दौरान 2000 एडिशनल जजों की नियुक्ति करने की सरकार की पहल की तारीफ की, साथ ही महाराष्ट्र सरकार से अधिक जजों की नियुक्ति करने तथा बेसिक नीड इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने का भी अनुरोध किया. जस्टिस ओका ने बिना नगरपालिका की अनुमति के स्वागत में लगे बैनर-पोस्टर के प्रदर्शन को देखकर नाराजगी जहिर की, मीडियाकर्मियों की धक्का-मुक्की करने के रवैये पर सवाल उठाया. संबोधन के दौरान कार्यक्रम में अनुशासन की कमी, विशेष रूप से मीडिया के व्यवहार के संबंध में चिंता जाहिर की. इस कार्यक्रम में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, बंबई हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे, परिवहन मंत्री प्रताप सरनाईक और अन्य लोग मौजूद रहे.

अदालतों के लिए बेसिक इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने की जरूरत

जस्टिस अभय एस ओका ने महाराष्ट्र में न्यायिक बुनियादी ढांचे पर बात करते हुए, बंबई हाई कोर्ट के बुनियादी ढांचा समिति के अध्यक्ष के रूप में अपने कार्यकाल से जुड़े अनुभव को शेयर किया. जस्टिस ने बताया कि कैसे प्रस्तावों को अक्सर देरी और नौकरशाही संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है. उन्होंने एक उदाहरण दिया कि महाराष्ट्र सरकार ने एक अदालत भवन के निर्माण को मंजूरी दे दी लेकिन न्यायिक प्रशासनिक भवन के प्रस्ताव को खारिज कर दिया जबकि उसकी आवश्यकता थी. उन्होंने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की इस घोषणा का स्वागत किया कि अतिरिक्त न्यायाधीशों के 2,000 पद सृजित किए गए हैं. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में अब भी न्यायाधीशों की भारी कमी है.

अवैध पोस्टर-बैनर की परंपरा से नाराजगी

जस्टिस ओका ने कार्यक्रम स्थल पर बैनरों की उपस्थिति को लेकर अपनी खुशी व्यक्त की, लेकिन बाद में उन्हे बताया गया किया कि ये सभी बैनर अवैध थे. जस्टिस अभय ओका ने अपने संबोधन की शुरूआत में पोस्टर-बैनरों की संस्कृति पर चिंता जताते हुए कहा कि बंबई हाई कोर्ट ने पहले ही आदेश दिया है कि किसी भी बैनर या होर्डिंग को लगाने से पहले स्थानीय प्रशासनिक निकाय से पूर्व अनुमति लेना जरूरी है, फिर भी पूर्व अनुमति के इतने सारे बैनर-पोस्टर लगा दिए गए.

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जस्टिस ने कहा,

"बॉम्बे हाई कोर्ट ने पहले ही कहा है कि बिना पूर्व अनुमति के कोई भी बैनर या होर्डिंग नहीं लगाया जाना चाहिए, लेकिन इनमें से किसी भी होर्डिंग पर अनिवार्य अनुमति संख्या नहीं थी यानी वे अवैध थे."

जस्टिस ने स्थानीय नगर निकाय से ऐसे बैनरों को तुरंत हटाने की मांग की.

शुभारंभ के दौरान धक्का-मुक्की

जस्टिस ने कहा कि कार्यक्रम में पट्टिका के अनावरण के दौरान उन्होंने देखा कि एक अनियंत्रित भीड़ कई महिलाओं को धक्का दे रही थी. उन्होंने इस अनुशासनहीनता पर खेद व्यक्त करते हुए मीडिया प्रतिनिधियों और कुछ अन्य उपस्थित लोगों को आड़े हाथों लिया.

जस्टिस ओका ने सवाल किया कि यदि भविष्य में ऐसी अनुशासनहीनता जारी रहती है तो क्या न्यायपालिका से संबंधित कार्यक्रमों में मीडिया प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा,

"यह राजनीतिक कार्यक्रम या अभिनेताओं से जुड़ा कोई कार्यक्रम नहीं है. यह न्यायपालिका का कार्य है जिसमें अनुशासन अनिवार्य है. मीडिया पेशेवरों को ऐसे कार्यक्रमों के दौरान शिष्टाचार बनाए रखना चाहिए."

जस्टिस ने साथ ही कहा कि न्यायपालिका अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, विशेष रूप से मीडिया की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.

(खबर जी मिडिया एजेंसी इनपुट पर आधारित)