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मां पर अपने बच्चे के अपहरण का आरोप कैसे लगाया जा सकता है? पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने पिता से पूछा

सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि माता-पिता को अपने बच्चे के अपहरण का दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि दोनों समान प्राकृतिक अभिभावक हैं.

Written by Satyam Kumar |Published : May 2, 2025 6:30 PM IST

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने 12 वर्षीय एक लड़के को ऑस्ट्रेलिया में रह रही उसकी मां के पास से मुक्त कराने का अनुरोध करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि माता-पिता को अपने ही बच्चे के अपहरण के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि दोनों ही समान प्राकृतिक अभिभावक हैं.

अदालत ने कहा कि भारतीय दंड संहिता की धारा 361 और हिंदू अल्पसंख्यक एवं संरक्षण अधिनियम, 1956 की धारा 6 के प्रावधानों का अध्ययन करने पर पता चलता है कि किसी घटना को अपहरण मानने के लिए यह आवश्यक है कि नाबालिग बच्चे को वैध अभिभावक के संरक्षण से दूर ले जाया जाए.

अदालत ने कहा,

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‘‘अदालत का मानना ​​है कि किसी माता-पिता को अपने ही बच्चे के अपहरण के लिए दोषी नहीं ठहराया जा सकता, क्योंकि दोनों माता-पिता उसके समान प्राकृतिक अभिभावक हैं.’’

अदालत ने ये टिप्पणी एक लड़के से जुड़े मामले में की, जिसके गुरुग्राम निवासी चाचा ने अदालत के समक्ष एक याचिका दायर कर बच्चे की मां पर बच्चे को उनके संरक्षण से अवैध रूप से छीनने का आरोप लगाया था. याचिकाकर्ता ने राज्य को यह निर्देश देने का अनुरोध किया था कि वह अपने भाई के नाबालिग बेटे को बच्चे की मां के अवैध संरक्षण से मुक्त कराए. याचिकाकर्ता ने कहा कि 24 अप्रैल को बच्चे के पिता बेल्जियम में एक सम्मेलन में भाग लेने गए थे, तभी लड़के की मां ने उनके कार्यालय में घुसकर बच्चे का पासपोर्ट चुरा लिया और तड़के नाबालिग को जगाकर अपने साथ ले गई.

(खबर पीटीआई इनपुट से है)