नई दिल्ली: केरल उच्च न्यायालय (Kerala High Court) जल्द एक अहम सवाल पर परीक्षण करने जा रही है जो राज्य में फैमिली कोर्ट्स (Family Courts) से क्षेत्राधिकार से जुड़ा है। 'घरेलू हिंसा अधिनियम' के तहत दर्ज होने वाली मूल याचिकाओं की सुनवाई फैमिली कोर्ट्स में हो सकती है या नहीं, केरल हाईकोर्ट इसपर विचार करने वाली है।
बता दें कि केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश ए मुहम्मद मुस्ताक (Justice A Muhamed Mustaque) और न्यायाधीश सोफी थॉमस (Justice Sophy Thomas) की खंडपीठ यह परीक्षण करेगी; सुनवाई की तारीख 10 अगस्त, 2023 तय की गई है।
जस्टिस मुस्ताक और जस्टिस थॉमस की खंडपीठ ने 2 अगस्त, 2023 को अधिवक्ता एम अशोक किनी (M Ashok Kini) को 'न्याय मित्र' (Amicus Curiae) के रूप में नियुक्त कर लिया है और वो पीठ की मामले में सहायता करेंगे।
विस्तार से समझाए हैं तो यह पीठ इस सवाल पर परीक्षण करेगी कि 'घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005' (Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005) के तहत दर्ज मूल याचिकाओं (Original Petitions) पर क्या फैमिली कोर्ट्स सुनवाई कर सकते हैं या नहीं; यह उनके क्षेत्राधिकार में आता है या नहीं।
दरअसल उच्च न्यायालय एक याचिकाकर्ता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें याचिकाकर्ता का यह कहना है कि घरेलू हिंसा अधिनियम (Domestic Violence Act) के अंतर्गत दायर मूल याचिका की सुनवाई फैमिली कोर्ट के क्षेत्राधिकार में नहीं है।
याचिकाकर्ता अपनी पत्नी की याचिका को चुनौती दे रहे थे जिन्होंने इस अधिनियम के तहत एक ओरिजिनल पिटिशन फैमिली कोर्ट में दायर की थी और एर्णाकुलम के फैमिली कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई करके ऑर्डर भी पास कर दिया था। इसी के चलते याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का रुख किया है।
मूल याचिका यानी ओरिजिनल पिटिशन की परिभाषा का अंदाजा इसके नाम से ही लगाया जा सकता है। बता दें कि मूल याचिका किसी याचिकाकर्ता द्वारा दायर प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन या आरंभिक कानून के पाठ की पहली प्रस्तुति है। एक मामले में जो पहली याचिका दायर की जाती है, उसे मूल याचिका कहते हैं।