तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण प्रक्रिया की पूरी टाइमलाइन, जानें कैसे अमेरिका से भारत लाए गए
26-11 Mumbai Attack : अदालत ने तहव्वुर राणा को 18 दिन के लिए NIA की कस्टडी में भेजा है. लेकिन क्या तहव्वुर राणा को भारत लाना इतना आसान था, आइये जानते हैं तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पूरी कहानी...
तहव्वुर राणा, NIA
Written by Satyam Kumar|Published : April 11, 2025 12:38 PM IST
Tahawwur Rana Extradition: भारत की सीमा में अपराध कर अमेरिका के जेल में बंद तहव्वुर राणा को सफलतापूर्वक भारत लाया जा चुका है. तहव्वुर राणा, उस नृशंस 26-11 हमले के साजिशकर्ताओं में से एक है, जिसमें 174 नागरिकों की सरेआम हत्या की थी. तहव्वुर राणा अब भारत की न्याय व्यवस्था के पेश किया जा चुका है, अदालत ने उसे 18 दिन के लिए NIA की कस्टडी में भेज दिया है. लेकिन क्या तहव्वुर राणा को भारत लाना इतना आसान था, आइये जानते हैं तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण की पूरी कहानी...
अमेरिका से कैसे भारत लाए गए तहव्वुर राणा
वर्ष 2008 के मुंबई आतंकवादी हमले के मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के अमेरिका से प्रत्यर्पण का घटनाक्रम इस प्रकार है :
26 नवंबर, 2008 : अरब सागर के रास्ते देश की वित्तीय राजधानी में घुसने के बाद 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों के समूह ने मुंबई में रेलवे स्टेशन, दो आलीशान होटलों और यहूदी केंद्र पर हमला किया। 60 घंटे तक चले हमले में 166 लोगों की जान चली गई.
26-27 नवंबर की मध्य रात्रि: एकमात्र जीवित आतंकवादी अजमल आमिर कसाब को मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया.
13 जनवरी, 2009: एम एल तहलियानी को कसाब और दो भारतीयों - फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद - के खिलाफ मामले की सुनवाई के लिए विशेष न्यायाधीश नियुक्त किया गया.
16 जनवरी, 2009: कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आर्थर रोड जेल को सुनवाई के लिए चुना गया। कसाब को भी इसी जेल में रखा गया.
25 फरवरी, 2009: मामले में आरोपपत्र दाखिल किया गया.
27 अक्टूबर, 2009: मुख्य आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका की संघीय जांच ब्यूरो (एफबीआई) ने गिरफ्तार किया. पाकिस्तान में जन्मा कनाडाई नागरिक राणा मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी सहयोगी है.
अक्टूबर, 2009: डेविड कोलमैन हेडली देश छोड़ने की तैयारी के दौरान अमेरिका में गिरफ्तार किया गया.
11 नवंबर, 2009: राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने दिल्ली में हेडली, राणा और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया.
6 मई, 2010: मुंबई की विशेष अदालत ने कसाब को मौत की सजा सुनाई. अदालत ने दो भारतीयों फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी कर दिया, क्योंकि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं था.
9 जनवरी, 2011: राणा को अमेरिकी जिला न्यायालय में तीन सप्ताह की सुनवाई के बाद दोषी ठहराया गया और डेनमार्क में रहकर आतंकवादी साजिश रचने और लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने के लिए 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई, लश्कर-ए-तैयबा पाकिस्तान में सक्रिय एक आतंकवादी संगठन है जो मुंबई हमले के लिए जिम्मेदार है.
21फरवरी, 2011: बंबई उच्च न्यायालय ने कसाब की दोषसिद्धि और मौत की सज़ा को बरकरार रखा। साथ ही फहीम अंसारी और सबाउद्दीन अहमद को बरी करने का फ़ैसला भी बरकरार रखा.
24 दिसंबर, 2011: जांच पूरी होने के बाद, नयी दिल्ली के पटियाला हाउस स्थित एनआईए विशेष न्यायाधीश की अदालत में आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया, एनआईए ने राणा के प्रत्यर्पण के लिए अमेरिका से अनुरोध भी किया.
29 अगस्त, 2012: उच्चतम न्यायालय ने कसाब की दोषसिद्धि और मृत्युदंड को बरकरार रखा.
नवंबर, 2012: भारत के राष्ट्रपति ने कसाब की दया याचिका खारिज की.
21 नवंबर, 2012: कसाब को पुणे की यरवदा जेल में फांसी पर लटकाया गया.
21 जनवरी, 2025 : अमेरिका के उच्चतम न्यायालय ने राणा की याचिका पर सुनवाई करने से इनकार किया.
13 फरवरी, 2025 : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए, अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की कि उनके प्रशासन ने ‘‘साजिशकर्ताओं और दुनिया के सबसे बुरे लोगों में से एक’’ को भारत में न्याय का सामना करने के लिए प्रत्यर्पित करने को मंजूरी दे दी है.
27 फरवरी, 2025: राणा ने अमेरिकी उच्चतम न्यायालय की एसोसिएट न्यायाधीश और ‘नाइंथ सर्किट’ की सर्किट न्यायाधीश एलेना कागन के समक्ष ‘‘बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका के लंबित मुकदमे पर रोक लगाने के लिए आपातकालीन आवेदन’’ प्रस्तुत किया था। मार्च में न्यायाधीश कागन ने आवेदन अस्वीकार कर दिया,
इसके बाद राणा ने अपने इस आवेदन को नवीनीकृत किया, तथा अनुरोध किया कि नवीनीकृत आवेदन प्रधान न्यायाधीश जॉन रॉबर्ट्स को भेजा जाए,
7 अप्रैल, 2025: अमेरिकी उच्चतम न्यायालय ने राणा की समीक्षा याचिका खारिज की।
10 अप्रैल, 2025: राणा को अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया.