शुक्रवार के दिन दिल्ली हाईकोर्ट ने वन स्टॉप सेंटर (OSC)कर्मचारियों को पिछले सात महीने से वेतन नहीं दिए जाने पर दिल्ली सरकार से नाराजगी जाहिर की है. दिल्ली हाईकोर्ट सरकार के लापरवाह रवैये को लेकर फटकार लगाते हुए कहा कि अगर सरकार के सामने वित्तीय इमरजेंसी है तो हमें उससे अवगत कराएं, हम इस स्थिति को आपातकाल (Emergency) घोषित करेंगे. अदालत के सामने ओएससी कर्मचारियों को वेतन नहीं जाने का मामला गैर-सरकारी संगठन (NGO) बचपन बचाओ आंदोलन ने उठाया.
दिल्ली हाईकोर्ट में मनोनीत चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गोडेला की खंडपीठ बंचपन बचाओ आंदोलन एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एनजीओ ने ग्यारह कार्यरत वन स्टॉप कर्मचारियों की स्थिति में अदालत को बताया गया.
अदालत ने स्थिति से हैरानी जताते हुए सरकार से पूछा कि अगर कर्मचारियों को वेतन नहीं मिलेगा तो वे कैसे मन लगाकर काम करेंगे? जहां एक तरफ OSC कर्मचारियों से 24 घंटे काम की उम्मीद की जाती है, तो दूसरी पीड़ितो की काउंसिलिंग की जिम्मेदारी आदि की बेहद गंभीर जिम्मेदारी होती है, अगर उन्हें ही सरकार सैलरी नहीं देगी तो वे कर्मचारी कैसे पूरे मन से अपने काम को करेंगे.
हाईकोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार लगातार अपने कर्मचारियों को वेतन देने में विफल हो रही है. इससे पहले एमसीडी कर्मचारी को वेतन नहीं दे पा रही थी, उसके बाद आंगनबाड़ी वर्कर्स को उनके मानदेय के पैसे नहीं दिया जा रहा है और अब OSC कर्मचारियों को वेतन नहीं दिया जा रहा है. अगर राज्य सरकार किसी आर्थिक संकट से नहीं गुजर रही है तो ऐसा क्यों किया जा रहा है. दिल्ली हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि दिल्ली सरकार केन्द्र से तो पूरा पैसा ले रही है लेकिन अपने कर्मचारियों को नहीं दे रही है जिसका साफ अर्थ है कि सरकार पैसा कहीं और खर्च रही है.
इस पर अदालत के समक्ष मौजूद सरकार ने वकील ने आश्वासन देते हुए कहा कि वे संबंधित अधिकारियों से बात कर कर्मचारियों को वेतन दिलाने में मदद करेंगे.
अदालत ने सरकार को मामले में फ्रेश स्टेटस रिपोर्ट सौंपने के निर्देश देते हुए कहा सुनवाई को अगले तारीख के लिए टाल दिया.