Delhi High Court On Chhath Pooja: दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने बुधवार को दिल्ली में यमुना नदी के तट पर छठ पूजा मनाने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. दरअसल, यमुना किनारे छठ पूजा करने की मांग को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी. ये याचिका छठ पूजा संघर्ष समिति ने दाखिल की थी.
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने छठ पूजा संघर्ष समिति की याचिका को ख़ारिज करने के बाद अनुमति देने से इनकार कर दिया है.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद ने टिप्पणी की कि प्रतिबंध यमुना में प्रदूषण को रोकने के लिए लगाया गया है.
बेंच ने कहा,
"पर्याप्त सुरक्षा उपाय हैं और यह (प्रतिबंध) नदी प्रदूषण को रोकने के उद्देश्य से है."
दो संगठनों, छठ पूजा संघर्ष समिति और पूर्वांचल जागृति मंच ने जनहित याचिका दाखिल की थी. जिस पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था. इन संगठनों ने 9 अक्टूबर, 2021 की दिल्ली सरकार की अधिसूचना को चुनौती देते हुए अदालत का रुख किया था.
इसके बाद याचिकाकर्ताओं के वकील ने याचिका वापस लेने का फैसला किया.
याचिका में क्या मांग की गई?
याचिका में कहा गया,
"छठ पूजा त्योहार बच्चों की खुशी, समृद्धि और लंबी उम्र की कामना के लिए आयोजित किया जाता है. पौराणिक कथा के अनुसार, छठी मैया भगवान सूर्य की बहन हैं."
याचिकाकर्ता का कहना है कि यमुना नदी के किनारे छठ पर्व मनाने पर रोक उचित नहीं है. उत्तरदाताओं ने लोगों को दिल्ली में यमुना नदी पर जाने की अनुमति न देकर छठ पूजा करने के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है.
ये तर्क दिया गया कि दिल्ली में यमुना के तट पर छठ पूजा पर प्रतिबंध लगाने वाली अधिसूचना ने दिल्ली के लोगों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन किया है.
कोर्ट को बताया गया कि 30-40 लाख लोग इस आदेश से प्रभावित हैं और पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश और हरियाणा अभी भी यमुना के तट पर त्योहार मना रहे हैं.
याचिका में कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने बिना किसी अधिकार के कोविड-19 अवधि के दौरान उपरोक्त अधिसूचना को अधिसूचित किया. दिल्ली सरकार ने उचित कानून/नियमों का उल्लेख नहीं किया है जो उन्हें 30-40 लाख की पूजा पर रोक लगाने का अधिकार देता है.
हालांकि, दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील ने कहा कि लोगों के छठ पूजा करने के लिए शहर के सभी वार्डों में तालाब बनाए गए हैं.
साल 2021 में भी दिल्ली हाईकोर्ट ने श्रद्धालुओं को यमुना नदी के किनारे छठ पूजा करने से रोकने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. जस्टिस रेखा पल्ली ने कहा था कि याचिका में कोई दम नहीं है और याचिकाकर्ताओं ने ये नहीं बताया कि श्रद्धालु यमुना के तट पर छठ पूजा करने के कैसे हकदार हैं.