Advertisement

Delhi HC ने मृतक के कानूनी उत्तराधिकारी के खिलाफ आयकर विभाग के मूल्यांकन आदेश को रद्द किया

रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों की अनदेखी करते हुए उसके सभी कानूनी उत्तराधिकारियों या प्रतिनिधियों को रिकॉर्ड पर लाए बिना, मृतक के नाम पर उसके पैन पर गलत तरीके से जांच कार्यवाही की गई.

Written by My Lord Team |Published : June 26, 2023 7:18 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग द्वारा जारी 10 करोड़ रुपये के मूल्यांकन आदेश को इस आधार पर रद्द कर दिया है कि यह मृत करदाता के सिर्फ एक कानूनी उत्तराधिकारी के खिलाफ जारी नहीं किया जा सकता. समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार, उच्च न्यायालय ने आयकर विभाग के अधिकारियों से याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी करने और उन्हें मामले के गुण-दोष के बारे में अपना बचाव प्रस्तुत करने का अवसर देने को कहा.

उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘मृतक/करदाता के एक से अधिक कानूनी उत्तराधिकारी थे, जिनमें याचिकाकर्ता नंबर 2 और 3 भी शामिल हैं. इस स्थिति के मद्देनजर यह स्वीकार नहीं किया जा सकता कि मूल्यांकन आदेश केवल दर्पण कोहली, यानी याचिकाकर्ता नंबर 1 के खिलाफ जारी किया जा सकता था.’’

न्यायमूर्ति राजीव शकधर और न्यायमूर्ति गिरीश कठपालिया की पीठ ने कहा, ‘‘इसलिए, हमारे अनुसार, आगे बढ़ने का सबसे अच्छा तरीका मूल्यांकन आदेश को रद्द करना होगा.’’

Also Read

More News

आदेश को चुनौती

पीठ ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी के नोटिस में सुनवाई की तारीख और समय बताया जाएगा और याचिकाकर्ताओं को लिखित जवाब दाखिल करने की भी अनुमति दी जाएगी.

अदालत ने कहा कि मूल्यांकन अधिकारी एक स्पष्ट आदेश पारित करेगा, जिसकी प्रति याचिकाकर्ता को दी जाएगी. अदालत तीन व्यक्तियों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो मृतक करदाता कुलदीप कोहली के कानूनी उत्तराधिकारी हैं, जिनकी दिसंबर 2017 में मृत्यु हो गई थी.

उन्होंने कुलदीप कोहली की मृत्यु के बाद जारी किए गए 2021 के नोटिस और मई 2023 के मूल्यांकन आदेश को चुनौती दी, जिसमें उनके सभी कानूनी उत्तराधिकारियों को रिकॉर्ड में लाए बिना या उनके पैन नंबर पर कार्यवाही को स्थानांतरित किए बिना उनके पैन नंबर पर 10.08 करोड़ रुपये की कर देनदारी बढ़ा दी गई थी.

याचिकाकर्ताओं का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील एम सुफियान सिद्दीकी ने दलील दी कि संबंधित व्यक्ति की मृत्यु की सूचना उसके कानूनी उत्तराधिकारियों द्वारा विधिवत दी गई थी.

हालांकि, रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों की अनदेखी करते हुए उसके सभी कानूनी उत्तराधिकारियों या प्रतिनिधियों को रिकॉर्ड पर लाए बिना, मृतक के नाम पर उसके पैन पर गलत तरीके से जांच कार्यवाही की गई.

उन्होंने कहा कि कार्यवाही को कभी भी याचिकाकर्ताओं के पैन पर मूल्यांकन अधिकारी द्वारा स्थानांतरित नहीं किया गया, जो मृत करदाता के कानूनी उत्तराधिकारी हैं.