जब भी हम सबने इनकम टैक्स रेड की बातें सुनी होगी, तो न्यूज में इस पर जोर रहता था कि रेड के दौरान इनकम टैक्स अधिकारियों ने रेड के दौरान मोबाइल को जब्त कर लिया है. अमूमन लोग यह आकलन भी लगा लेते थे कि ऐसा एहतियातन तौर पर किया गया है, ताकि संदिग्ध किसी को कॉल करके मदद के लिए ना बुला ले. लेकिन जब राज्य सभा में यह सवाल उठाया गया कि क्या इनकम टैक्स की रेड कर रहे अधिकारियों को उस व्यक्ति का मोबाइल चेक करने की परमिशन है? क्या अधिकारी को उस शख्स के पर्सनल ईमेल, सोशल मीडिया अकाउंट और बैंक अकाउंट चेक करने की वैधानिक इजाजत है? सवाल पूछनेवाले टीएमसी के राज्य सभा सांसद नेता ऋतब्रत बनर्जी (Ritabrata Banerjee) ने यह भी बताने को कहा कि अगर यदि ऐसा है, तो इसकी वजह और आधार को बताया जाए. सरकार की ओर वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने इसका जबाव दिया है. आइये जानते हैं कि उन्होंने जबाव में क्या कहा...
सवाल: क्या आयकर अधिकारियों को सभी करदाताओं के निजी ईमेल, सोशल मीडिया और बैंक खातों तक पहुंच की अनुमति है? यदि हां, तो पूरा ब्यौरा दें तथा इसके लिए क्या कारण हैं, वो बताएं?
वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि नहीं, सामान्य परिस्थितियों में आयकर अधिकारियों की पहुंच बैंक अकाउंट, पर्सनल ईमेल और सोशल मीडिया अकाउंट तक नहीं है. वहीं, जांच के दौरान अधिकारी इनकी जांच की मांग कर सकते हैं.
लिखित में उत्तर देते हुए राज्य वित्त मंत्री ने कहा कि जांच या रेड के वक्त आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 132 अधिकृत अधिकारी को किसी व्यक्ति जिसके पास इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड (सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 2 की उपधारा (1) के खंड (t) में परिभाषित) के रूप में रखे गए अकाउंट या अन्य डॉक्यूमेंट्स है, उसे कब्ज़े या नियंत्रण में लेने का अधिकार है, साथ ही तलाशी और जब्ती कार्रवाई के दौरान ऐसे अकाउंट्स या अन्य दस्तावेजों का निरीक्षण करने की आवश्यक सुविधा प्रदान करने का अधिकार भी देती है.
जबाव में आगे कहा गया है. आयकर विधेयक, 2025 की धारा 247 की उपधारा (1) के खंड (ii) में भी इसी तरह का प्रावधान किया गया है. सक्षम प्राधिकारी द्वारा अधिकृत तलाशी और जब्ती के कुछ मामलों में, जहां कोड तक पहुंच उपलब्ध नहीं है और संबंधित व्यक्ति कार्यवाही में सहयोग नहीं कर रहा है, तो अधिकृत अधिकारी ऐसे कंप्यूटर सिस्टम के कोड को ओवरराइड करके जानकारी प्राप्त कर सकता है.
आसान शब्दों में कहें तो आयकर अधिकारियों को सीधे निजी ईमेल, सोशल मीडिया और बैंक खातों तक पहुंच नहीं है, वहीं तलाशी और जब्ती के दौरान इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तक पहुंच प्राप्त करने के लिए कानूनी प्रावधान मौजूद हैं.