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Waqf Bill पर बोल रहे संजय राउत ने कश्मीरी पंडितों का जिक्र किया, टोकते हुए सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि काम की बातें छोड़कर सारी चीजें कह रहे

Waqf Amendment Bill 2024 को लेकर राज्यसभा में बहस के दौरान शिवसेना उद्धव ठाकरे के सांसद संजय राउत के वक्तव्य देखने को मिला, जब सांसद वक्फ बिल के दौरान कश्मीरी पंड़ितों की बात तक पहुंच गए. इससे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जेपी नड्डा ने आपत्ति जताई.

राज्यसभा सांसद संजय राउत और जेपी नड्डा

Written by Satyam Kumar |Published : April 4, 2025 11:38 AM IST

बीते दिन राज्यसभा में वक्फ संशोधन अधिनियम, 2024 पारित किया है. इस बिल के समर्थन में 128 सदस्यों ने, वहीं इसके विरोध में 98 सदस्यों ने वोट दिया. इस दौरान सदन के सदस्यों के बीच बेहद रोचक चर्चा देखने को मिला. इस दौरान एक-दूसरे के प्रस्ताव का विरोध भी हुआ. एक वाक्या शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट के सांसद संजय राउत के वक्तव्य देखने को मिला, जब सांसद वक्फ बिल के दौरान कश्मीरी पंड़ितों की बात तक पहुंच गए. इससे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद जेपी नड्डा ने आपत्ति जताई. आइये जानते हैं कि दोनों सदस्यों ने क्या कुछ कहा...

कश्मीरी भाईयों की अभी तक घर वापसी नहीं हुई: संजय राउत

शिवसेना यूबीटी नेता संजय राउत ने कहा कि महोदय जिस तरह का भाषण हम कल से सुन रहे हैं, ऐसा लगा कि हिंदू पाकिस्तान बनाने जा रहे हैं. सरकार ये बिल लोगों का ध्यान भटकाने के लिए लाई है. आप (सरकार) ही लोग मुसलमानों को चोर बोलते हैं, मुसलमान को देशद्रोही कहते हैं, उसके दुकान से समान नहीं खरीदने का ऐलान करते हैं और अब आप गरीब मुसलमान की चिंता कर रहे हैं, उनके हिमायत बन रहे हो. जमीन बचाने के मामले में संजय राउत ने कहा कि आप जमीन खरीदने-बेचने के बात पर आ गए, आयोध्या में डिफेंस का जमीन किसे दे दिया. कश्मीरी भाईयों की अभी तक घर वापसी नहीं हुई. आप उन सब की चिंता करो. यह बिल हमारे समाज के पक्ष में नहीं है. 

संजय राउत की बात कहने के बाद राज्यसभा सासंद जेपी नड्डा ने कहा किमैं इस नेरेटिव का पुरजोर विरोध करता हूं. इस सदन के माध्यम से देश को बताना चाहता हूं कि हमारी सरकार, मोदी जी की अगुवाई वाली सरकार पूरी डेमोक्रेटिक तरीके से चल रही है.

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आपने कहा, हमने ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी बनाई. 2013 में जो जेपीसी बनी उसमें 13 सदस्य थे. हमारी सरकार में बनाई गई जेपीसी में 31 सदस्य थे. जेपीसी की 36 मीटिंग हुई. 200 घंटे की चर्चा हुई. 2013 में केवल 22 मीटिंग हुई. जेपीसी दस राज्यों में गई. 200 से ज्यादा स्टॉकहोल्डर के साथ बातचीत हुई. 2013 में केवल 18 स्टॉकहोल्डर के साथ बातचीत हुई. कौन सा ऐसा पैमाना है, जिसमें हम खड़े नहीं उतरे. अधिकांश राज्यों के वक्फ बोर्ड कमेटी के साथ बातचीत हुई. उस समय केवल 13 राज्यों के कमेटी के साथ बातचीत हुई.

सभापति ने भी एक Quote जोड़ा

जेपी नड्डा ने कहा कि इस बिल की चर्चा में राम मंदिर, एयर इंडिया, कुंभ सब आ रहे हैं. जेपी नड्डा ने कहा कि जब आप बहस करते हैं, तो आप अपने तर्क उसी के अनुसार रखते हैं, यदि आपका आत्मविश्वास कम है तो आप अपनी आवाज ऊंची करते हैं (When you contended, you put your argument accordingly, If yoy low in confidence you raise your voice)

इस पर सभापति जगदीप धनखड़ ने जोड़ते हुए कहा कि यदि तथ्य आपके खिलाफ हैं, तो कानून पर बहस करें। यदि कानून आपके खिलाफ है, तो तथ्यों पर बहस करें। यदि कानून और तथ्य आपके खिलाफ हैं, तो मेज पर मुक्का मारें और जोर से चिल्लाएं (If the facts are against you, argue the law. If the law is against you, argue the facts. If the law and the facts are against you, pound the table and yell like hell).

हम लिप सर्विस नहीं करते: सांसद जेपी नड्डा

जेपी नड्डा ने कहा कि चर्चा से भटकना और अलग होना चलता है लेकिन यह बिल देश के हित में है. इसके लिए हम इसे लेकर आए हैं, यह किसी वोट बैंक को सेटिसफाई करने के लिए नहीं है, किसी पार्टी के लिए नहीं है. सांसद जेपी नड्डा ने आगे कहा कि क्या वक्फ की प्रॉपर्टी मैनेजमेंट नहीं किया जाना चाहिए, उस पर चेक एंड बैलेंस नहीं किया जाना चाहिए.  सांसद जेपी नड्डा ने कहा कि हम लिप सर्विस नहीं करते हैं, हम रियल सर्विस करते हैं. हम जानना चाहते हैं कि उन्हे किसने डरा कर रखा है, पिछले 70 साल से उन्हें मुख्यधारा से किसने बाहर रखा है.

Waqf 2013 संविधान का उल्लंघन: जेपी नड्डा

जेपी नड्डा ने आगे कहा कि 2013 का एक्ट, जिसमें वक्फ बोर्ड को असीमित शक्ति देता है, जो कि संविधान की आर्टिकल 14 का उल्लंघन है. वक्फ बोर्ड कानून के समक्ष समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है. वक्फ बोर्ड सेक्शन 40- के तहत बोर्ड खुद ही जानकारी जुटा सकती है, जब बोर्ड को लगता है कि ये संपत्ति वक्फ बोर्ड की है. बोर्ड खुद ही तय कर सकती है कि कौन सी संपत्ति उसकी है. वहीं, वक्फ के फैसले को सिविल कोर्ट में चुनौती नहीं दे सकता है. क्या यह आर्टिकल 21 का उल्लंघन नहीं है, जो लोगों को गरिमा के साथ जीवन जीने का अधिकार देता है. क्या यह 21वीं सदी के लोगों को, देश के नागरिकों के अधिकार का उल्लंघन नहीं है.