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कानून बराबरी का ना हो, तो सत्ता की चालाकी समझा जाता है... राज्यसभा सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने Waqf Amendment Bill का विरोध किया

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन करता है, जो धर्म का पालन करने और धार्मिक मामलों का प्रबंधन करने की स्वतंत्रता से संबंधित हैं. उनका मानना है कि यह विधेयक समुदाय के अधिकारों और अपने संस्थानों को चलाने की स्वायत्तता को छीनने का प्रयास करता है.

सांसद अभिषेक मनु सिंघवी

Written by Satyam Kumar |Published : April 4, 2025 12:15 AM IST

राज्यसभा सांसद व कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक की धाराओं की आलोचना की. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह बिल संविधान के आर्टिकल 25 और 26 का उल्लंघन करता है, और जब न्याय कम, संशय ज्यादा है और जब कानून बराबरी का ना हो, तो सत्ता की चालाकी समझा जाता है. उन्होंने कहा कि मुझे मौका मिला था सबरीमाला, बोहरा कम्युनिटी की ओऱ से पेश करने का. इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने दो सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं, जो रिलीजन न्यूट्रल है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार एक समुदाय के अधिकारों और उनके संस्थानों को चलाने की स्वायत्तता को छीन जा रहा है, वह असंवैधानिक है. सिंघवी ने कहा कि यह विधेयक संविधान द्वारा दिए गए अधिकारों को छीनने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने कहा कि मैंने कांग्रेस की ओर से लगभग 15 मिनट तक बात की और कई मुद्दों को उठाया. उनके अनुसार, इस विधेयक के तहत अल्पसंख्यकसमुदाय के अधिकारों को सरकार के दबाव में कम किया गया है, जो कि अनुच्छेद 26 के अनुसार असंवैधानिक है.

कानूनी भाषा में लिपटी सत्ता की मनमानी है: सिंघवी

राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा कि जब कोई कानून समान नहीं होता है, तो वह सत्ता का एक हथकंडा बन जाता है. उन्होंने कहा कि यह कोई कानून नहीं है, बल्कि कानूनी भाषा में लिपटी मनमानी है. उन्होंने इस विधेयक को अनुच्छेद 25 (धर्म का पालन, प्रचार और अभ्यास करने की स्वतंत्रता) और अनुच्छेद 26 (धार्मिक मामलों का प्रबंधन और संस्थानों की स्थापना की स्वतंत्रता) का उल्लंघन बताया. सीनियर एडवोकेट और सासंद ने कहा कि अगर कोई पद्धति या कार्य,किसी धर्म का हिस्सा बन जाता है तो उसे उस धर्म का अभिन्न अंग माना जाता है, अगर माइनॉरिटी की सिद्धांतों के बोर्ड का संचालन का अधिकार आर्टिकल 26 के तहत संवैधानिक अधिकार है.

सिंघवी ने स्पष्ट किया कि इस विधेयक में सुधार कम और संदेह अधिक है; न्याय कम और पक्षपात अधिक है. उन्होंने कहा कि जो संविधान ने दिया है, यह विधेयक उसे छीनने का प्रयास कर रहा है. उन्होंने इसे संशोधन की तुलना में एक साजिश से की. अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह बिल संविधान के आर्टिकल 25 और 26 का उल्लंघन करता है, और जब न्याय कम, संशय ज्यादा है और जब कानून बराबरी का ना हो, तो सत्ता की चालाकी हो जाता है. उन्होंने कहा कि मुझे मौका मिला था सबरीमाला, बोहरा कम्युनिटी की ओऱ से पेश करने का. इन मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने दो सिद्धांत प्रतिपादित किए हैं, जो रिलीजन न्यूट्रल है. सिंघवी ने कहा कि ये सिद्धांत धर्म-निष्पक्ष हैं. उन्होंने कहा कि यदि कोई प्रथा किसी धर्म, विश्वास, या संप्रदाय का अभिन्न हिस्सा मानी जाती है, तो उसे अनुच्छेद 25 और 26 की पूरी और व्यापक सुरक्षा मिलेगी. यह सिद्धांत धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है.

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अल्पसंख्यक मंत्री ने पेश किया वक्फ बिल

आज राज्यसभा में  वक्फ विधेयक को पारित करने के लिए पेश करते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक करोड़ों मुसलमानों के समुदाय को लाभ पहुंचाएगा. उन्होंने कहा कि वक्फ की संपत्ति का सही उपयोग गरीबों के हित में नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार ने विधेयक के तहत तंत्र को मजबूत किया है, जिसमें न्यायाधिकरण शामिल हैं. रिजिजू ने कहा कि हमने इस विधेयक में अपील का अधिकार शामिल किया है. यदि आपको न्यायाधिकरण में अपना अधिकार नहीं मिलता है, तो आप इस अपील के अधिकार के तहत अदालत में याचिका दायर कर सकते हैं.