हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स विधेयक को सदन में रखते देते हुए इसे सेलेक्ट कमेटी (Select Committee) के पास भेजने का अनुरोध किया है. वित्त मंत्री के अनुरोध के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने शुक्रवार को आयकर विधेयक (Income Tax Bill) की जांच के लिए 31 सदस्यों की चयन समिति (Select Committee) गठित की. बता दें कि इस समिति की अध्यक्षता भाजपा के बैजयंत पांडा करेंगे और अगले सत्र के पहले दिन तक अपनी रिपोर्ट देंगे. यह बजट सत्र 4 अप्रैल को समाप्त होगा, जबकि मॉनसून सत्र जुलाई के तीसरे या चौथे सप्ताह में शुरू होने की संभावना है.
असल में कई लोगों की उत्सुकता का विषय यह है कि इससे पहले सदन में वक्फ बिल पेश किया गया था, जिसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास भेजा गया था. अब सदन में इनकम टैक्स बिल लाया गया है, जिसे सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा गया है. आखिर ये कमेटियां क्या है और ये कैसे कार्य करती है, साथ ही कौन-सा मामला किस कमेटी के पास जाएगा, यह कैसे तय होता है, साथ ही सेलेक्ट कमेटी और पार्लियामेंट्री कमेटी के बीच अंतर को भी जानें...
भारतीय संसद में कई प्रकार की समितियां होती हैं, जो विभिन्न कार्यों के लिए गठित की जाती हैं. इन समितियों की संरचना और कार्यप्रणाली संसद के कार्य संचालन के नियमों के तहत निर्धारित होती है. यह समितियां संसद के कार्यों को सुचारु रूप से संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. भारतीय संसद में स्थायी समितियां होती हैं, जिन्हें स्टैंडिंग कमेटी कहा जाता है. ये समितियां अहम विभागों से जुड़े मुद्दों की समीक्षा करती हैं. वर्तमान में, ऐसी 12 स्थायी समितियां हैं. हालांकि, इनके सदस्यों को बदला जा सकता है, लेकिन समिति की स्थिरता बनी रहती है.
इसके विपरीत, अस्थायी समितियां, जिन्हें एडहॉक कमेटी के नाम से जाना जाता है, इन्हें विशेष मुद्दों की समीक्षा के लिए गठित की जाती हैं. जैसे किसी विधेयक की जांच के लिए. इन समितियों का कार्य पूरा होने के बाद इन्हें भंग कर दिया जाता है. सेलेक्ट कमेटी अस्थायी समितियों में से एक है, जो विधेयकों के संशोधन के लिए महत्वपूर्ण होती है. लोकसभा के नियम 118 के तहत, किसी भी सदस्य को विधेयक में संशोधन के लिए सेलेक्ट कमेटी के पास भेजने का आग्रह करने का अधिकार है.
सेलेक्ट कमेटी भारतीय संसद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो विशेष रूप से विधेयकों की समीक्षा के लिए गठित की जाती है. यह समिति अस्थायी होती है और इसका गठन किसी खास मुद्दे या विधेयक की जांच के लिए किया जाता है. सेलेक्ट कमेटी का कार्य विधेयक के विभिन्न पहलुओं की गहन समीक्षा करना और सुझाव देना होता है. यह समिति संसद के नियमों के तहत बनाई जाती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि विधेयक को सही दिशा में आगे बढ़ाया जाए. सेलेक्ट कमेटी का गठन विधेयक के प्रति गंभीरता को दर्शाता है. यह समिति विधेयक के सभी धाराओं की समीक्षा करती है और जरूरत पड़ने पर उसमें संशोधन के सुझाव भी देती है. कमेटी यह सुनिश्चित करता है कि विधेयक को सभी दृष्टिकोणों से परखा जाए और इसे पारित करने से पहले सभी आवश्यक सुधार किए जाएं.
लोकसभा में सेलेक्ट कमेटी का गठन नियम 298 के तहत किया जाता है. जब कोई सदस्य या मंत्री विधेयक को सेलेक्ट कमेटी में भेजने का प्रस्ताव करता है, तब सदन की मंजूरी से समिति का गठन किया जाता है. आमतौर पर, समिति में उसी सदन के सदस्य शामिल होते हैं, जिसमें विधेयक पेश किया गया है. सेलेक्ट कमेटी में सदस्यों की संख्या आवश्यकतानुसार तय की जाती है, लेकिन आमतौर पर इसमें 20-30 सांसद होते हैं. ये सदस्य विभिन्न राजनीतिक दलों से होते हैं, जिससे समिति में विचारों की विविधता बनी रहती है. सेलेक्ट कमेटी विधेयक की जांच करती है और इसके विभिन्न सेक्शन पर सुझाव हासिल करती है. यह समिति विशेषज्ञों, हितधारकों और सरकारी अधिकारियों से भी सलाह लेती है. इसके अलावा, जरूरत पड़ने पर आम जनता से भी राय मांगी जा सकती है. सेलेक्ट कमेटी विधेयक की समीक्षा के बाद एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करती है. इस रिपोर्ट में विधेयक में संभावित संशोधनों और सुधारों के सुझाव शामिल होते हैं.
समिति की रिपोर्ट पर चर्चा के लिए लोकसभा के नियम 264 के तहत समय-समय पर बैठकें आयोजित की जाती हैं. सेलेक्ट कमेटी की बैठक में कम से कम एक-तिहाई सदस्यों का कोरम होना आवश्यक है. यदि कोरम नहीं होता है, तो बैठक आगे नहीं बढ़ाई जा सकती. इसके बाद, समिति को विधेयक पर विचार करने के लिए समय निर्धारित किया जाता है. सेलेक्ट कमेटी अपनी रिपोर्ट को वोटिंग के बाद लोकसभा अध्यक्ष को सौंपती है. इसके बाद, यह रिपोर्ट सदन में चर्चा के लिए प्रस्तुत की जाती है. सदन को लौटाई गई सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट प्रस्ताव की तरह होती है. सरकार अपनी मर्जी से सेलेक्ट कमेटी की रिपोर्ट में दिए गए प्रस्तावों को स्वीकार या नकार सकती है. यदि समिति विधेयक को अपने संशोधनों के साथ सुधारकर भेजती है, तो मंत्री इसे सदन में चर्चा और पारित कराने के लिए पेश कर सकते हैं.
सेलेक्ट कमेटी में केवल उसी सदन के सदस्य हो सकते हैं, जिस सदन में विधेयक प्रस्ताव लाया गया हो. वहीं, दूसरे सदन के लोग उसके कार्य को देख सकते हैं, जबकि ज्वाइंट पार्लियमेंट्री कमेटी या जेपीसी में दोनों सदन राज्यसभा और लोकसभा के सदस्य होते हैं.