हाल ही में दिल्ली की एक जिला अदालत ने बलात्कार और पॉक्सो मामले के आरोपी वकील को जमानत दी है. इस दौरान पीड़िता व राज्य के वकील ने अदालत के इस फैसले का विरोध करते हुए कहा कि वकील ने तीस हजारी जिला अदालत स्थित अपने चैंबर में शिकायतकर्ता के साथ बलात्कार किया और उसकी नाबालिग बहन के साथ भी ऐसा किया. हालांकि, इनके फैसले से इंकार करते हुए अदालत ने इन दलीलों को मानने से इंकार करते हुए आरोपी को जमानत दे दी है.
दिल्ली की एक अदालत ने उस वकील को जानत दे दी जिसपर तीस हजारी जिला अदालत स्थित अपने चैंबर में एक महिला से बलात्कार करने का आरोप है. अदालत ने कहा कि आरोपी वकील को जेल भेजने से कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राजेश कुमार आरोपी सुशील की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहे थे. वकील के खिलाफ 30 जुलाई 2014 को बलात्कार के आरोपों और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी. अदालत ने 29 जनवरी के अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में जांच पूरी हो चुकी है और आरोपपत्र पहले ही दाखिल किया जा चुका है. आरोपी को सलाखों के पीछे भेजने से कोई सार्थक उद्देश्य पूरा नहीं होगा.
शिकायतकर्ता और सरकारी वकील ने जमानत याचिका का विरोध किया जबकि आरोपी के वकील संसार पाल सिंह और नीरज दहिया ने दावा किया कि प्राथमिकी वकील की प्रतिष्ठा को धूमिल करने के उद्देश्य से दर्ज की गई थी. अभियोजन पक्ष के अनुसार, सुशील ने तीस हजारी जिला अदालत स्थित अपने चैंबर में शिकायतकर्ता से बलात्कार किया और शिकायतकर्ता की नाबालिग बहन से भी बलात्कार किया.
(खबर एजेंसी इनपुट के आधार पर है)