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सेना पर आरोप लगाने के मामले में शेहला राशिद को बड़ी राहत, राजद्रोह का मुकदमा वापस लेने की दिल्ली पुलिस की मांग को Court से मंजूरी मिली

दिल्ली पुलिस ने 2019 के राजद्रोह के मामले को वापस लेने की अनुमति मांगी क्योंकि स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उपराज्यपाल ने शहला राशिद के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी वापस ले ली थी.

शेहला राशिद, राजद्रोह का मुकदमा

Written by Satyam Kumar |Published : March 2, 2025 12:10 PM IST

राष्ट्रीय राजधानी की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस को जेएनयूएसयू की पूर्व उपाध्यक्ष शेहला रशीद शोरा के खिलाफ सेना पर उनके ट्वीट के लिए 2019 में दर्ज किये गये राजद्रोह के मामले को वापस लेने की अनुमति दे दी है. दिल्ली पुलिस ने मुकदमा वापस लेने के लिए आवेदन उपराज्यपाल की रजामंदी मिलने के बाद की. वहीं. उपराज्यपाल ने यह फैसला स्क्रीनिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर अभियोजन बंद करने का फैसला लिया. बता दें कि साल 2019 में शेहला राशिद ने सेना पर आरोप लगाते हुए ट्वीट किया था कि वे लोगों को परेशान कर रहे हैं. सेना से इस ट्वीट से बेहद आपत्ति जताई थी. वहीं, गृह मंत्रालय ने कहा था कि हर ट्वीट पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, लेकिन यह सेना से जुड़ा विषय है, इसलिए इसकी अनदेखी नहीं कर सकते है.

शेहला राशिद के खिलाफ मुकदमा बंद

मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनुज कुमार सिंह ने अभियोजन पक्ष की ओर से दायर उस आवेदन पर 27 फरवरी को यह आदेश पारित किया, जिसमें दावा किया गया था कि दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने शेहला रशीद के खिलाफ मुकदमा चलाने की अपनी मंजूरी वापस ले ली है.

यह मामला राजद्रोह, धर्म, भाषा, नस्ल, जन्म स्थान आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और दंगे भड़काने जैसे अपराधों के लिए दर्ज किया गया था. इन आरोपों में अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान था. आवेदन के अनुसार, उपराज्यपाल का आदेश जांच समिति की सिफारिश पर आया है. इसमें कहा गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने समिति की सिफारिश को मंजूरी दे दी है. उपराज्यपाल ने 23 दिसंबर, 2024 को मंजूरी दी थी.

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दिल्ली पुलिस ने की मुकदमा चलाने की मांग

दिल्ली पुलिस ने शेहला राशिद के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए उपराज्यपाल अनुरोध करते हुए कहा था कि 18 अगस्त 2019 को, शहला राशिद ने भारतीय सेना के खिलाफ दो ट्वीट किए थे. पहले ट्वीट में उन्होंने कहा था कि सशस्त्र बल रात में घरों में घुस रहे हैं, लड़कों को उठा रहे हैं, घरों को बर्बाद कर रहे हैं, जानबूझकर राशन को फर्श पर गिरा रहे हैं, चावल में तेल मिला रहे हैं. दूसरे ट्वीट में शेहला राशिद ने आरोप लगाया कि शोपियां में चार पुरुषों को सेना कैंप में बुलाया गया और 'पूछताछ' (पेट्रोलिंग) की गई. एक माइक्रोफोन उनके पास रखा गया ताकि पूरा क्षेत्र उनकी चीखें सुन सके और आतंकित हो सके.

उपराज्यपाल ने अभियोजन की मंजूरी दी

25 मार्च 2023 में, दिल्ली के उपराज्यपाल वी.के. सक्सेना ने जेएनयू छात्र संघ की पूर्व उपाध्यक्ष और एआईएसए की सदस्य शहला राशिद शोरा के खिलाफ भारतीय सेना के खिलाफ किए गए दो ट्वीट्स के लिए अभियोजन की स्वीकृति दी थी. उस समय उपराज्यपाल कार्यालय ने बताया कि इस अभियोजन स्वीकृति सीआरपीसी  की धारा 196 (राज्य के खिलाफ साजिश करने या इरादे से किए गए मामले में अभियोजन चलाने की मंजूरी) के  तहत दी गई है. दिल्ली पुलिस के मुकदमा चलाने के प्रस्ताव से गृह विभाग, GNCTD ने भी सहमति जताई थी. इसमें कहा गया कि शहला राशिद ने 18 अगस्त 2019 को भारतीय सेना के खिलाफ दो ट्वीट किए थे, जिसमें आरोप लगाया गया था कि सेना रात में घरों में घुसकर युवकों को उठाती है और घरों को बर्बाद करती है.

2019 में राजद्रोह का मुकदमा

शेहला रशीद के खिलाफ राजद्रोह की प्राथमिकी 2019 में नयी दिल्ली के विशेष प्रकोष्ठ पुलिस थाने में अलख आलोक श्रीवास्तव नामक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर दर्ज की गई थी. शेहला राशिद के खिलाफ मुकदमा आईपीसी की धारा 153 (हिंसा भड़काने के इरादे से किया गया कार्य) के तहत दर्ज कराई गई थी. सूत्रों ने बताया कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ (जेएनयूएसयू) की पूर्व नेता पर अपने ट्वीट के जरिए विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देने और सद्भावना को नुकसान पहुंचाने वाले कृत्यों में संलिप्त होने का आरोप था. शेहला के 18 अगस्त 2019 के ट्वीट में सेना पर कश्मीर में घरों में घुसने और स्थानीय लोगों को ‘‘यातना’’ देने का आरोप लगाया गया था. भारतीय सेना ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि शहला राशिद द्वारा लगाए गए आरोप झूठे हैं. सेना ने कहा कि ऐसी झूठी खबरें शत्रुतापूर्ण तत्वों और संगठनों द्वारा फैलायी जाती हैं ताकि अवचेतन जनसंख्या को भड़काया जा सके.