नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट एक्ट से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान वकील जज शिवांगी मंगला को धमकाने लगे. जज ने वकील को चेक बाउंस के केस में एक शख्स को दोषी ठहराया था, और अगले दिन की सुनवाई में जमानत बॉन्ड के भरने के निर्देश दिए थे. अगली सुनवाई में अदालत उनकी सजा भी मुकर्रर करती. उससे पहले आरोपी शख्स ने फैसले से नाराजगी जाहिर करते हुए जज के ऊपर कोई वस्तु फेंकने की कोशिश की और अपने वकील से अपने हक में फैसला सुनाने के लिए दबाव बनाने को कहा. इस पर वकील और उसके सहयोगियों ने जज पर दबाव बनाना शुरू किया.
कोर्टरूम में वकील और उनके सहयोगियों ने लगातार जज पर दबाव बनाना जारी रखा ताकि वे उनके हक में फैसला सुना दें. इसके लिए उन्होंने पुरजोर कोशिश की. इस दौरान वकील ने महिला जज को धमकाया.
वकील ने कहा,
“तू है क्या चीज... तू बाहर मिल, देखता हूं कैसे जिंदा घर जाती है..."
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, आरोपी वकील के बयान को जज ने ऑर्डर कॉपी में दर्ज किया है. वहीं आरोपी को लेकर ऑर्डर में कहा गया कि जैसे ही अदालत ने उसे दोषी ठहराया, उसने अपशब्द कहना शुरू कर दिया. ऑर्डर के अनुसार, अभियुक्त के पक्ष में फैसला न आने पर, आरोपी शख्स ने भरी अदालत में भड़क उठा और फैसले पर सवाल उठाने लगा. आरोपी ने जज को परेशान करना शुरू कर दिया और न्यायाधीश की मां के खिलाफ अभद्र टिप्पणी की. अभियुक्त ने कुछ वस्तु भी पकड़ी हुई थी और उसने न्यायाधीश पर उसके पक्ष में आदेश पारित न करने के लिए उसे फेंकने की कोशिश की. इसके अलावे उसने अपने वकील को आदेश दिया कि वह उसके पक्ष में फैसला सुनाने के लिए कुछ भी करे.
जज ने वकील को कारण बताओ नोटिस भी जारी कर पूछा है कि वे बताएं कि उनके खिलाफ अदालत की अवमानना का मुकदमा (Contempt Of Court) की कार्यवाही क्यों नहीं शुरू की जाए.
नोटिस में लिखा गया,
"संबंधित वकीललिखित में जबाव दें कि उनके द्वारा प्रदर्शित आचरण व दुर्व्यवहार के लिए उनके विरुद्ध आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए उन्हें हाई कोर्ट को क्यों न भेजा जाए."
नोटिस में उन्हें जबाव लेकर अगली सुनवाई में पेश होने के आदेश दिए गए हैं.