चटगांव की एक अदालत ने राजद्रोह के आरोप में हाई कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने के बाद गिरफ्तार हिंदू पुजारी चिन्मय कृष्ण दास को चार हत्या के मामलों में आरोपी बनाया गया है. हिंदू संत को वकील सैफुल इस्लाम आलिप की हत्या के सिलसिले में दर्ज चार मामलों में आरोपी बनाया गया है. ये घटना नवंबर 2024 में हुआ था. इससे पहले चिन्मय कृष्ण दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगाया गया था, जिसके कारण उन पर राजद्रोह का आरोप लगा. हाई कोर्ट ने उनके वकीलों द्वारा पेश किए गए दस्तावेजों के आधार पर जमानत दे दी. चिन्मय कृष्ण दास के वकील का कहना है कि उनके मुवक्किल पर लगाए गए आरोप पूरी तरह से झूठे हैं. उन्होंने कहा कि सात महीने की गिरफ्तारी के बाद भी पुलिस जांच रिपोर्ट नहीं आई है और राजद्रोह के लिए उनके भाषण या प्रेरणा का कोई सबूत नहीं है.
खबरों के मुताबिक, हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास को 25 नवंबर, 2024 के दिन का हवाई अड्डे से राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. 26 नवंबर को उनके गिरफ्तारी के विरोध प्रदर्शन हुआ था, इस प्रदर्शन के दौरान वकील सैफुल इस्लाम आलिप पर अज्ञात हमलावरों ने जानलेवा हमला किया, वकील सैफुल इस्लाम की हत्या के मामले में दर्ज चार मुकदमे में नामित किया गया है.
बीते कुछ दिन पहले चिन्मय दास को हाई कोर्ट में जमानत मिली है. हाई कोर्ट में, जस्टिस मोहम्मद अताउर रहमान और जस्टिस मोहम्मद अली रजा की पीठ ने चिन्मय की ओर से दायर जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश पारित किया. इस फैसले के मुताबिक 23 अप्रैल को चिन्मय के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने हाई कोर्ट की पीठ से अपने मुवक्किल को जमानत देने की प्रार्थना करते हुए कहा कि चिन्मय बीमार हैं और बिना सुनवाई के जेल में कष्ट झेल रहे हैं.
पिछले साल 31 अक्टूबर को चटगांव के मोहोरा वार्ड बीएनपी के पूर्व महासचिव फिरोज खान ने कोतवाली पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज कराया था. इसमें चिन्मय और 18 अन्य पर बंदरगाह शहर के न्यू मार्केट इलाके में 25 अक्टूबर को हिंदू समुदाय की एक रैली के दौरान राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का दावा किया गया था.