Coal Scam Case: दिल्ली उच्च न्यायालय से पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे को राहत मिली है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कोयला घोटाले में दोषी करार दिलीप रे की सजा पर रोक लगाई है. उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा. यह बड़ी करने जैसा नहीं है, खास परिस्थितियों में सजा पर रोक लगाने के जैसा है जिसे आरोपी के लंबे राजनीतिक करियर और उनकी उम्र को ध्यान में रखरक दिया जा रहा है. बता दें कि दिलीप रे को झारखंड कोयला घोटाले में तीन साल जेल की सजा हुई है. ट्रायल कोर्ट ने 6 अक्टूबर, 2020 के दिन दिलीप रे को सजा सुनाई थी.
दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा सजा पर रोक लगाने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे लोकसभा का चुनाव लड़ सकेंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस स्वर्ण कांता शर्मा की बेंच ने इस मामले को सुना. बेंच ने कहा, अगर आरोपी की अपील मंजूर नहीं की जाती है, तो इसके अपरिवर्तनीय परिणाम सामने आ सकते हैं. मान ले कि अगर वे बाद में बरी हो जाते, तो उनसे लोगों की सेवा करने का एक मौका छूट जाएगा.
बेंच ने कहा,
"यह अदालत वर्तमान आवेदन को अनुमति देने के लिए इच्छुक है. इसके मद्देनजर, यह निर्देशित किया जाता है कि वर्तमान आवेदक की सजा, दिनांक 06.10.2020 के फैसले में दर्ज, वर्तमान अपील की लंबित अवधि के दौरान स्थगित रहेगी,"
बेंच ने स्पष्ट किया. सजा पर रोक लगाने का अर्थ सजा से बरी करना बिल्कुल नहीं है.
बेंच ने आगे कहा,
“यह स्पष्ट किया जाता है कि यह आदेश बरी करने जैसा नहीं है, बल्कि मामले की विशिष्ट परिस्थितियों में दोषसिद्धि का निलंबन मात्र है, जिसमें आरोपी का लंबा राजनीतिक करियर और उसकी उम्र भी शामिल है….”
दिलीप रे की याचिका का सीबीआई ने विरोध किया. फिर भी, न्यायालय ने पूर्व मंत्री को राहत दी है.
ये मामला झारखंड के गिरिडीह जिले में 105.153 हेक्टेयर के कोल माइनिंग एरिया को एक निजी कंपनी कैस्ट्रॉन टेक्नोलॉजीस लिमिटेड को आवंटित करने से जुड़ा है. आवंटन में गड़बड़ी के आरोप लगे. जांच शुरू हुई, पहले केन्द्रीय सतर्कता आयोग ने जांच की. इसके बाद सीबीआई ने मामले की जांच की. सीबीआई ने ओडिशा के तत्कालीन कोयला पूर्व केंद्रीय मंत्री दिलीप रे समेत छह आरोपियों के खिलाफ फाइनल रिपोर्ट दाखिल की. ट्रायल कोर्ट ने दिलीप रे को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट और आईपीसी की धाराओं के तहत दोषी पाते हुए तीन साल जेल की सजा सुनाई थी. अब दिल्ली हाईकोर्ट ने इसी सजा पर रोक लगाई है.