दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना के तहत प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करानेवाले कोचिंग संस्थानों के भुगतान करने को कहा है. याचिकाकर्ताओं ने दावा किया कि अधिकारियों से शिकायत करने के बावजूद पहली किस्त नहीं मिली है. वहीं सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने भुगतान करने की जबावदेही का विरोध नहीं किया, लेकिन कहा कि भुगतान की प्रक्रिया उचित सत्यापन और संस्थानों द्वारा आवश्यक जानकारी प्रदान करने के अधीन है.
जस्टिस सचिन दत्ता की पीठ ने यह ध्यान में रखते हुए कि विशेष सचिव ने विवाद को सुलझाने के लिए 13 दिसंबर को एक बैठक आयोजित की थी, प्रत्येक याचिकाकर्ता को सुनवाई का अवसर देने और योजना के अनुसार धनराशि जारी करने के संबंध में निर्णय लेने का आदेश दिया. याचिकाकर्ताओं ने यह आश्वासन दिया कि वे अपने पास मौजूद सभी प्रासंगिक दस्तावेज प्रदान करेंगे. अदालत ने आदेश दिया कि इन दस्तावेजों की जांच प्रक्रिया पांच सप्ताह के भीतर पूरी की जाए.
दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा,
"उन्हें अनुसूचित जाति-जनजाति विभाग(DSCST) द्वारा जांचा जाएगा और विशेष सचिव द्वारा चार सप्ताह के भीतर याचिकाकर्ताओं को सुनवाई का अवसर दिया जाएगा. इस प्रक्रिया के बाद, यदि याचिकाकर्ताओं को भुगतान का अधिकार है, तो उन्हें तुरंत भुगतान किया जाएगा,"
अदालत ने विभाग से उम्मीद जताया कि वे जल्द से जल्द इस मामले को सुलझाएंगे. वहीं. अदालत ने स्पष्ट कहा कि यदि याचिकाकर्ता इस प्रक्रिया के परिणाम से असंतुष्ट हैं, तो वे उचित उपायों का सहारा ले सकते हैं.
जय भीम मुख्यमंत्री प्रतिभा विकास योजना,आर्थिक रूप से कमजोर SC/ST/OBC/EWS उम्मीदवारों को गुणवत्ता वाली कोचिंग प्रदान करने के लिए शुरू की गई थी. इसमें यह प्रावधान है कि नामांकित छात्रों की कोचिंग फीस दिल्ली सरकार के SC/ST/OBC/माइनॉरिटी कल्याण विभाग द्वारा वहन की जाएगी. इस योजना के तहत संबंधित संस्थानों के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoA) पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसमें पाठ्यक्रमों की अवधि, फीस की मात्रा, उम्मीदवारों के लिए पात्रता मानदंड और वित्त पोषण पैटर्न का जिक्र किया गया.
दिल्ली हाई कोर्ट में दायर याचिका में, याचिकाकर्ता संस्थानों ने कहा कि उन्हें राष्ट्रीय राजधानी सरकार द्वारा कोर्स फीस के पहले किस्त के रूप में 50 प्रतिशत का भुगतान भी नहीं किया गया. याचिकाकर्ताओं ने संबंधित अधिकारियों के साथ बार-बार शिकायत की, लेकिन उन्हें किसी तरह की राहत नहीं मिली. असंतुष्ट होकर, उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट से उचित दिशा-निर्देश की मांग की, ताकि उन्हें योजना के तहत और MoA के अनुसार किए जाने वाले भुगतान हो सके. उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा कि कुछ संस्थानों को 2022 में ही भुगतान किया गया, जबकि कुछेक को अब तक कोई पैसा नहीं मिला.
हालांकि, अब दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को पांंच सप्ताह के अंदर इस पर फैसला लेने को कहा है.