Popular Front of India: हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने PFI के सदस्य ई अबुबकर (E Abubakar) को जमानत देने से इंकार किया है. अबुबकर पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत अपराध दर्ज की गई है. 2022 में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने अबुबकर को गिरफ्तार किया था. अदालत ने आरोपी की रेगुलर जमानत की मांग को ठुकराते हुए PFI को लेकर अहम टिप्पणी की है. अदालत ने अपने जजमेंट में PFI को बनाने और संगठन के उद्देश्यों को संविधान विरोधी करार दिया है.
दिल्ली उच्च न्यायालय में, जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस मनोज जैन की बेंच के सामने अबुबकर की जमानत याचिका पेश की गई. बेंच ने पहले रेगुलर जमानत देने से इंकार किया. उसके बाद अबुबकर के संगठन PFI को रेडिकल संगठन बताया, जिसका उद्देश्य हिंदू नेताओं की हत्या, 2047 तक खलीफत लाना और संविधान की शरिया लॉ को भारतीय कानून बनाना है. PFI का ये उद्देश्य सरकार के विरूद्ध नही बल्कि 'भारत की एकता और संप्रभुता' को चुनौती देना है.
अदालत ने कहा,
"हिंदू नेताओं की हत्या का लक्ष्य, सुरक्षा बलों पर हमला करने की योजना और 2047 तक खिलाफत लाने की योजना स्पष्ट संकेत देती है कि संगठन का उद्देश्य सरकार को उखाड़ फेंकना नहीं बल्कि देश की एकता और संप्रभुता को चुनौती देना हैं."
अदालत ने PFI की गतिविधियों पर भी चर्चा की. अदालत ने कहा, PFI का टेरर कैम्प चलाना, मुस्लिम युवाओं को संगठन में शामिल कर उन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग देना, उनमें कट्टरता को बढ़ावा देने जैसा कार्य उनके उद्देश्यों व मंशा को समझने के पर्याप्त हैं.
अदालत ने कहा,
"हथियार चलाने की ट्रेनिंग देने का उद्देश्य, लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को उखाड़ फेंकना था. संविधान की जगह शरिया कानून लाना था."
दिल्ली हाईकोर्ट ने PFI के सदस्य अबुबकर को रेगुलर जमानत याचिका खारिज करते हुए उपरोक्त बातें कहीं.
NIA के अनुसार, PFI और उसके सदस्य अपराधित साजिश के तहत देश भर से फंड जुटा रहे थे. फंड का उद्देश्य देश भर में हमले करना था. NIA ने देश भर में PFI के खिलाफ कार्रवाई की. इसी दौरान NIA ने PFI के सदस्यों को गिरफ्तार किया था. अबुबकर उन्हीं में से एक हैं, जिनकी जमानत की याचिका दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की.