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स्टेट मशीनरी की नाकामी! पुलिस अस्पताल के डॉक्टर व स्टूडेंट्स की सुरक्षा सुनिश्चित करे, कलकलत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को फटकारा

Calcutta High Court ने 14 अगस्त की रात को कोलकाता के RG KAR College & Hospital में बड़े पैमाने पर हुई हिंसा को रोकने में असफल रहने पर सवाल उठाए हैं.  अदालत ने ऐसी हिंसा को रोकने के लिए Calcutta Police को खुफिया तंत्र मजबूत करने के निर्देश दिए. साथ ही अदालत ने अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों को पर्याप्त सुरक्षा देने को कहा है.

Written by Satyam Kumar |Updated : August 16, 2024 1:29 PM IST

RG KAR Medical College Doctor Rape-Murder Case: हाल ही में कलकत्ता हाईकोर्ट ने 14अगस्त की रात में आरजी कर मेडिकल कॉलेज में हुई हिंसा को लेकर चिंता जाहिर की. कलकत्ता हाईकोर्ट ने हिंसा रोकने में पश्चिम बंगाल सरकार से नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि पुलिस तंत्र पूरी तरह से नाकाम हैं, खुफिया तंत्र विफल है (Failure of State Machinery). हालांकि राज्य ने पुलिस का बचाव करते हुए कहा कि पुलिस ने क्राइम सीन को बचा लिया है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पुलिस को डॉक्टर व अस्पताल के कर्मचारियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने को कहा है.

घटना की आशंका का पता लगाने में पुलिस की खुफिया तंत्र विफल: कलकत्ता हाईकोर्ट

कलकत्ता हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस टीएस शिवगनम और जस्टिस हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ आरजीकर डॉक्टर रेप-मर्डर के मामले की सुनवाई कर रही है. अदालत ने 14 अगस्त की रात प्रदर्शन कर रहे छात्रों के साथ उपद्रवियों द्वारा की गई मारपीट व हिंसा को रोकने में विफल व ऐसी घटना होने की आशंका का पता लगाने में पुलिस की असफलता से कलकत्ता हाईकोर्ट ने चिंता जाहिर की.

अदालत ने कहा, 

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राज्य में अचानक 7000 लोगों की भीड़ हिंसा करने को तैयार है और पुलिस को भनक तक नहीं लगी है, ये घटना पुलिस अधिकारियों द्वारा खुफिया जानकारी प्राप्त करने की कमी की ओर इशारा करती है.

राज्य ने दलील दी कि पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन 5000-7000 की भीड़ ने बैरिकोड को तोड़ दिया था और उन्हें नियंत्रित करने में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए. इस बात पर ध्यान देते हुए कि इस तरह की , मुख्य न्यायाधीश ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ये मानना मुश्किल है कि पुलिस को इस घटना की जानकारी नहीं रही होगी.

चीफ जस्टिस ने कहा,

"आम तौर पर पुलिस के पास हमेशा खुफिया शाखा होती है. हनुमान जयंती पर भी ऐसी ही घटना हुई. अगर 7,000 लोग इकट्ठा होते, तो यह मानना मुश्किल होता कि राज्य पुलिस को पता नहीं था."

उच्च न्यायालय ने स्पष्ट तौर पर कहा कि अगर भीड़ बहुत ज्यादा थी, तो पुलिस इस स्थिति से निपटने के लिए उस क्षेत्र में धारा 144 लगा सकती थी, साथ ही उसे उस क्षेत्र की घेराबंदी करनी चाहिए थी.

अदालत ने आगे कहा,

"यह राज्य मशीनरी की पूरी तरह से विफलता है. क्या इस बर्बरता को रोका जा सकता था, यह सवाल बाद में आता है. पुलिस भी घायल हुई है। तो क्या कानून और व्यवस्था विफल हो गई थी? हमारे विश्वास को प्रेरित करने के लिए सजग रहना चाहिए था."

अदालत ने पुलिस क्राइम सीन को बचाने की बात स्वीकार करते हुए कहा कि अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों की सुरक्षा भी सुनिश्चित की जानी चाहिए.

पिछली सुनवाई में, कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को जमकर फटकार लगाई थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने राज्य से पूछा कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल से  पूछताछ क्यों नहीं की गई? और इतनी जल्दी उनकी दोबारा से पोस्टिंग कैसे कर दी गई? अदालत ने जांच में गड़बड़ी की आशंका जताई थी. कलकत्ता हाईकोर्ट ने बातें प्रशिक्षु डॉक्टर की हत्या के मामलों से जुड़ी कई याचिकाओं पर सुनवाई करने के दौरान कहीं.