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राज्य में जांच एजेंसियां काम करेगी या नही! कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव को फटकारा

कोलकाता उच्च न्यायालय ने राज्य के कार्यकारी मुख्य सचिव को ‘स्कूलों में नौकरी के बदले पैसे’ मामले में सीबीआई जांच को मंजूरी देने को लेकर रिपोर्ट की मांग की थी. रिपोर्ट की जगह अतिरिक्त समय की मांग करने पर अदालत ने मुख्य सचिव को फटकार लगाई है.

Written by My Lord Team |Published : April 12, 2024 9:46 AM IST

मंगलवार (9 अप्रैल 2024) के दिन कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल राज्य को फटकार लगाई है. उच्च न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव बीपी गोपालिका को फटकार लगाया है. अदालत ने कहा, राज्य में जांच एजेंसियां काम करेगी या नहीं! क्या आपने लोकसभा चुनाव के चलते FIR लिखना भी बंद कर दिया हैं. उच्च न्यायालय ने राज्य के कार्यकारी मुख्य सचिव को ‘स्कूलों में नौकरी के बदले पैसे’ मामले में सीबीआई जांच को मंजूरी देने को लेकर रिपोर्ट की मांग की थी. बता दें कि 'स्कूल में नौकरी के बदले पैसे' मामले में सीबीआई को राज्य की ओर से जांच की मंजूरी देने में देरी की जा रही है. कलकत्ता हाईकोर्ट ने पिछली सुनवाई में मुख्य सचिव से एक रिपोर्ट देने को कहा था, जिसमें वे राज्य के लोक सेवकों के खिलाफ सीबीआई जांच को मंजूरी देने से जुड़ी जानकारी होगी. 

सुनवाई के समय राज्य के मुख्य सचिव ने रिपोर्ट देने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की. बता दें कि इसी मामले में 3 अप्रैल को हुई सुनवाई में अदालत ने साफ तौर पर समय-सीमा के भीतर रिपोर्ट देने को कहा था. वहीं, मुख्य सचिव ने लोकसभा चुनावों की भागदौड़ का जिक्र करते हुए अदालत से अतिरिक्त समय की मांग की है. 

कलकत्ता हाईकोर्ट ने मांगा जबाव

उच्च न्यायालय में जस्टिस जॉयमाल्या बागची और गौरांग कंठ की डिवीजन बेंच ‘सरकारी स्कूल में पैसे के बदले नौकरी’ घोटाले की सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव की प्रतिक्रिया के बाद कलकत्ता हाईकोर्ट ने नाराजगी जताई. 

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बेंच ने कहा, 

" न्याय प्रशासन के काम-काज में लोकसभा चुनाव कैसे आड़े आ गई? क्या आपने एफआईआर दर्ज करना बंद कर दिया है या आपने अपराधों की जांच करना बंद कर दिया है?"

अदालत ने राज्य के सचिव को अपने दायित्वों पर विचार करने के निर्देश भी दिए हैं. 

बेंच ने कहा, 

"मुख्य सचिव को यह निर्णय स्वतंत्र रूप से लेना होगा, भले ही उनका निर्णय उन्हें राजनीतिक रूप से अलोकप्रिय बना दे. यह उनका कर्तव्य है. हममें से प्रत्येक को स्वतंत्र रूप से मजबूत और सही निर्णय लेने की आवश्यकता है. यही कानून का शासन है."

अदालत ने राज्य के स्टैंड से भी आपत्ति जताई. अदालत ने राज्य को जांच में तटस्थ रहने का सलाह दिया है. 

बेंच ने कहा, 

"कम से कम पश्चिम बंगाल राज्य को ऐसे मामलों में तटस्थ रहना होगा. ये आरोपी अधिकारी या किसी पार्टी के पूर्व मंत्री हो सकते हैं, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. हम सभी को कानून का शासन बनाए रखने की जरूरत है."

अदालत ने राज्य सचिव से आपत्ति जताते हुए कहा, उन्होंने अपने दायित्वों पर विचार नहीं किया. साथ ही जांच को अनुमति देने की जगह अदालत के सामने एक संक्षिप्त रिपोर्ट जमा किया है.

बेंच ने कहा, 

"हमें आश्चर्य हो रहा है कि राज्य के बड़े सिविल सेवक ने अपने वैधानिक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप राज्य के उच्च कार्यालयों में गहरे भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में जांच में अनावश्यक रुकावट आ रही है."

हालांकि, अदालत ने राज्य के मुख्य सचिव को 14 दिन का समय दिया है, जिसके अंदर वे आरोपियों के खिलाफ जांच को मंजूरी देने के निर्णय पर विचार सकते हैं.