मुंबई: एल्गार परिषद माओवादी संबंध मामले (Elgar Parishad-Maoist Link Case) में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा (Gautam Navlakha) की जमानत याचिका पर बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने सोमवार को राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) से जवाब मांगा है और याचिका पर 28 जून को सुनवाई का निर्देश दिया।
न्यूज़ एजेंसी भाषा (Bhasha) के अनुसार, न्यायमूर्ति ए एस गडकरी (Justice AS Gadkari) और न्यायमूर्ति एस जी दिगे (Justice SG Dige) की खंडपीठ ने गौतम नवलखा के वकीलों को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया कि मामले से संबंधित सभी तारीखों को सही ढंग से रिकॉर्ड पर रखा जाए, क्योंकि उनकी जमानत याचिका पर विशेष एनआईए अदालत में दो बार सुनवाई हुई थी।
इस साल अप्रैल में, विशेष अदालत ने नवलखा को, जिसे अगस्त 2018 में गिरफ्तार किया गया था, यह कहते हुए जमानत देने से इनकार कर दिया था कि प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं कि कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) का सक्रिय सदस्य था।
उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में नवलखा ने कहा कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर गलती की है। उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने पिछले साल नवंबर में कार्यकर्ता को नजरबंद करने की अनुमति दी थी। वह वर्तमान में पड़ोसी ठाणे जिले में नवी मुंबई में रह रहे हैं। यह नवलखा की उच्च न्यायालय में नियमित जमानत की अपील का दूसरा दौर है।
आपको बता दे की इससे पहले, विशेष एनआईए अदालत द्वारा पिछले साल सितंबर में उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने उच्च न्यायालय का रुख किया था।
उस समय, एनआईए ने नवलखा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी भर्ती के लिए उन्हें पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) के एक जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है।
उच्च न्यायालय ने कहा था कि विशेष अदालत के आदेश में गूढ़ता थी और इसमें उन सबूतों का विश्लेषण शामिल नहीं था जिन पर अभियोजन पक्ष की दलीलें आधारित थीं। साथ ही, कोर्ट ने व्यवस्था दी थी कि इसे देखते हुए, जमानत अर्जी पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई किए जाने की आवश्यकता है। इसी के साथ, न्यायालय ने मामले को वापस विशेष अदालत में भेज दिया था।
रिपोर्ट के अनुसार, उच्च न्यायालय ने विशेष न्यायाधीश को चार सप्ताह के भीतर सुनवाई पूरी करने का भी निर्देश दिया था। तदनुसार, नवलखा ने नियमित जमानत के वास्ते अपने मामले की सुनवाई के लिए विशेष अदालत का रुख किया था।
विशेष अदालत ने तब उन्हीं अनुरोधों वाली याचिका पर फिर से सुनवाई की थी और जमानत संबंधी अपील को खारिज कर दिया था। नवलखा के खिलाफ यह मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में आयोजित एल्गार परिषद के एक सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषण से संबंधित है।
पुलिस का दावा है कि आयोजन के अगले दिन वहां कोरेगांव-भीमा युद्ध स्मारक के पास हिंसा भड़क गई थी।