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सड़क दुर्घटना के मुआवजे में से मेडिक्लेम राशि की घटाई जा सकती है? बॉम्बे हाई कोर्ट ने इंश्योरेंस कंपनी को अच्छे से बता दिया

बॉम्बे हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि मेडिक्लेम पॉलिसी से प्राप्त राशि को मोटर वाहन अधिनियम के तहत मिलने वाले मुआवजे से नहीं काटा जा सकता. अदालत ने माना कि मेडिक्लेम राशि बीमाधारक के द्वारा किए गए प्रीमियम भुगतान के बदले में मिलता है, और यह मोटर वाहन अधिनियम के तहत दिए जाने वाले मुआवजे से अलग है.

Written by Satyam Kumar |Published : March 31, 2025 3:05 PM IST

हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत किसी व्यक्ति को प्राप्त राशि को मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधानों के तहत चिकित्सा व्यय के लिए दावेदार को दी जाने वाली मुआवजे की राशि से नहीं काटा जा सकता है. हाई कोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम एक कल्याणकारी कानून है और पीड़ित को उचित मुआवजा दिलाना न्यायाधिकरण का कर्तव्य है. मेडिक्लेम राशि बीमाधारक के द्वारा किए गए प्रीमियम भुगतान के बदले में मिलता है, और यह मोटर वाहन अधिनियम के तहत दिए जाने वाले मुआवजे से अलग है. मेडिक्लेम से प्राप्त राशि पीड़ित का निजी वित्तीय निवेश है और इसे मुआवजे की गणना में शामिल नहीं किया जा सकता.  बीमा कंपनी को भी कोई नुकसान नहीं होता क्योंकि उसे प्रीमियम पहले ही प्राप्त हो चुका होता है.

क्या बीमा कंपनी कर सकती है कटौती?

जस्टिस एएस चंदुरकर, जस्टिस मिलिंद जाधव और जस्टिस गौरी गोडसे की पूर्ण पीठ ने 28 मार्च को अपने फैसले में कहा कि ‘मेडिक्लेम पॉलिसी (Mediclaim Policy) के तहत प्राप्त राशि दावेदार द्वारा बीमा कंपनी के साथ किए गए करार के मद्देनजर प्राप्त की जाती है. पीठ ने अपने फैसले में कहा कि हमारे विचार में ‘मेडिक्लेम पॉलिसी’ के तहत दावेदार द्वारा प्राप्त किसी भी राशि की कटौती स्वीकार्य नहीं होगी. इस मुद्दे पर विभिन्न एकल और खंडपीठ द्वारा अलग-अलग विचार व्यक्त किये जाने के बाद इस पूर्ण पीठ को भेजा गया था.

बॉम्बे हाई कोर्ट  की पूर्ण पीठ ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित निर्णयों का उल्लेख करते हुए कहा कि मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण को न केवल उचित मुआवजा दिलाने का अधिकार है, बल्कि यह उसका कर्तव्य भी है. इसने कहा कि बीमा के कारण प्राप्त राशि बीमाधारक द्वारा कंपनी के साथ किए गए अनुबंधात्मक दायित्वों के कारण है. अदालत ने कहा कि प्रीमियम का भुगतान करने के बाद यह स्पष्ट था कि लाभकारी राशि या तो पॉलिसी की परिपक्वता पर या मृत्यु पर, चाहे मृत्यु का कोई भी कारण हो, दावेदार के हिस्से में आएगी. अदालत ने कहा कि मृतक द्वारा किए गए दूरदर्शितापूर्ण और बुद्धिमानी भरे वित्तीय निवेश का लाभ अपराधी नहीं उठा सकता. यह कानून की स्थापित व्यवस्था है.

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मेडिक्लेम राशि में कटौती नहीं होगी

पूर्ण पीठ मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण के एक निर्णय के खिलाफ न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें चिकित्सा व्यय से अलग मौद्रिक मुआवजा देने का आदेश दिया गया था. बीमा कंपनी ने दावा किया कि चिकित्सा व्यय भी ‘मेडिक्लेम पॉलिसी’ के हिस्से के रूप में प्राप्त बीमा राशि के अंतर्गत आते हैं. कंपनी ने कहा कि यह दोगुना मुआवजा होगा. अदालत की सहायता के लिए न्यायमित्र नियुक्त किए गए अधिवक्ता गौतम अंखड ने तर्क दिया कि चिकित्सा व्यय से संबंधित मोटर वाहन अधिनियम के प्रावधान को दावेदार/पीड़ित के पक्ष में समझा जाना चाहिए क्योंकि यह एक कल्याणकारी कानून है. उन्होंने आगे कहा कि बीमाकर्ता को कोई नुकसान नहीं हुआ है क्योंकि उसे बीमाधारक से प्रीमियम प्राप्त हुआ था.