कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम के तहत चिकित्सा खर्चों और अस्पताल में भर्ती के लिए दिए गए मुआवजे में मेडिक्लेम बीमा पॉलिसियों के माध्यम से प्राप्त राशि को ध्यान में रखा जाना चाहिए. अदालत ने बीमा कंपनी को पीड़ित परिवार को कुल 4,93,839 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है, जिसे कुल मुआवजे में से मेडिक्लेम पॉलिसी से प्राप्त 1.8 लाख रुपये घटाने के बाद दिया जाना है.
जस्टिस हंचटे संजीवकुमार ने बीमा कंपनी को एस. हनुमंथप्पा के परिवार को 4,93,839 रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है. इसके साथ ही, न्यायालय ने यह मुआवजा पहले से प्राप्त 1.8 लाख रुपये की मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत मिले मुआवजे की राशि को घटाने के बाद दिया है.
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि चूंकि पुनर्भुगतान की राशि विवादित नहीं थी, इसे चिकित्सा खर्चों से घटाया जाएगा. इस समायोजन के साथ, चिकित्सा खर्चों के तहत मुआवजा राशि 3,44,639 रुपये पर पुनः गणना की गई, जिससे कुल मुआवजा 4,93,839 रुपये हो गया.
हनुमंथप्पा, जो कि बेंगलुरु के माराठाहल्ली के निवासी हैं, 10 दिसंबर 2008 को एक सड़क दुर्घटना का शिकार हुए थे. यह दुर्घटना तब हुई जब वह लेपाक्षी से सेवा मंदिर गांव लौट रहे थे और एक ऑटो रिक्शा उनकी मोटरसाइकिल से टकरा गया. इस दुर्घटना में हनुमंथप्पा और उनकी पत्नी दोनों को गंभीर चोटें आईं.
इलाज के बाद उन्होंने बेंगलुरु मोटर दुर्घटना दावा न्यायाधिकरण (MACT) का दरवाजा खटखटाया, जिसने 22 मार्च, 2013 को 6,73,839 रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया. इसमें चिकित्सा व्यय के लिए 5,24,639 रुपये शामिल थे. इस आदेश को चुनौती देते हुए, बीमा कंपनी ने तर्क दिया कि मेडिक्लेम पॉलिसी के तहत पीड़ित को मिले 1.8 लाख रुपये को चिकित्सा व्यय श्रेणी के तहत दी गई मुआवजा राशि से घटाया जाना चाहिए.
मनीष गुप्ता मामले में पिछले फैसले का हवाला देते हुए, कर्नाटक हाईकोर्ट ने कटौती को बरकरार रखा और कहा कि मेडिक्लेम के माध्यम से प्राप्त प्रतिपूर्ति राशि को अंतिम मुआवजा गणना में शामिल किया जाना चाहिए. अदालत ने स्पष्ट किया कि चूंकि प्रतिपूर्ति राशि निर्विवाद थी, इसलिए इसे दिए गए चिकित्सा व्यय से घटाया जाएगा. इसके साथ चिकित्सा व्यय श्रेणी के तहत मुआवजे की पुनर्गणना 3,44,639 रुपये पर की गई, जिससे कुल मुआवजा 4,93,839 रुपये हो गया.
(खबर पीटीआई इनपुट से है)