नई दिल्ली: बंबई उच्च न्यायालय (Bombay High Court) ने बुधवार को एक नई समिति का गठन किया है। यह नई समिति खास महाराष्ट्र की अदालतों की महिला वकीलों, लिटिगेंट्स और स्टाफ के लिए है और यह उनसे जुड़े आधारभूत मुद्दों (Infrastructural issues) का ध्यान रखेगी।
बंबई उच्च न्यायालय के एक्टिंग मुख्य न्यायाधीश नितिन जामदार और न्यायाधीश आरिफ डॉक्टर की पीठ ने एक नई समिति के गठन का ऑर्डर पास किया है। यह आदेश 'जन अदालत सेंटर फॉर पैरालीगल सर्विसेज' (Jan Adalat Centre for Paralegal Services) और 'लीगल एड सोसाइटी' (Legal Aid Society) की जनहित याचिका के आधार पर सुनाया गया है।
बंबई हाईकोर्ट ने अपने ऑर्डर में एक नई समिति का गठन किया है जिसमें हर जिले के प्रमुख जिला न्यायाधीश (Principal District Judges) और हर जिले के बार एसोसिएशन की एक महिला प्रतिनिधि शामिल होंगी।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इस याचिका में उन परेशानियों पर प्रकाश डाला गया है जिसका सामना महिलाओं ने कोर्ट परिसर में किया है। याचिका में बताया गया है कि 1 जनवरी, 2019 के दिन महाराष्ट्र में महिला वकीलों की संख्या 40 हजार थी और इसके बावजूद कोर्ट परिसर में महिलाओं के लिए अलग बार रूम्स नहीं हैं।
यह भी बताया गया कि कोई ऐसा कानून या नियम नहीं हैं जिनमें यह स्पष्ट किया जाए कि महिला वकीलों के लिए मिनिमम बार रूम्स की संख्या कितनी होनी चाहिए। याचिका में लिखा है कि ज्यादातर कोर्ट परिसरों में कैन्टीन की सुविधा नहीं है जिसकी वजह से कई महिला वकीलों को अपना लंच स्किप करना पड़ता है; साफ वॉशरूम्स और चेंजिंग रूम्स की भी कमी है और उन महिलाओं के लिए क्रेश और फीडिंग रूम्स की भी जरूरत है जो मां भी हैं।
'जन अदालत सेंटर फॉर पैरालीगल सर्विसेज' और 'लीगल एड सोसाइटी' द्वारा दायर की गई इस याचिका में महिलाओं के लिए कोर्ट परिसर में अलग पार्किंग स्पेस, लॉकर्स और पानी पीने की सुविधा की भी मांग की गई है। कोर्ट परिसर में सीसीटीवी कैमरों की गैर-मौजूदगी भी इस याचिका में मेंशन की गई है।