नई दिल्ली: Patna High Court से नीतीश कुमार को बड़ा झटका लगा है, हाईकोर्ट ने जातीय जनगणना पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर की गई याचिका पर फैसला सुनाते हुए बिहार में जातीय जनगणना पर रोक लगा दी है.
Patna High Court ने आदेश में मामले की अगली सुनवाई 3 जुलाई तय करते हुए बिहार सरकार को निर्देश दिए है कि तब तक कोई डाटा सामने नहीं आएगा.
गौरतलब है कि बिहार सरकार द्वारा जातीय जनगणना कराए जाने के खिलाफ याचिका दायर की गयी थी, जिसमें दावा किया गया कि जाति आधारित गणना में लोगों की जाति के साथ-साथ उनके कामकाज और उनकी योग्यता का भी ब्यौरा लिया जा रहा है. ये उनकी गोपनीयता के अधिकार का हनन है.
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार को जाति गणना कराने का संवैधानिक अधिकार नहीं है. साथ ही इस पर खर्च हो रहे 1500 करोड़ रुपये भी टैक्स के पैसों की बर्बादी है.
याचिका में कहा गया कि जाति आधारित गणना में लोगो से पूछे जा रहे 17 सवाल गोपनीयता भंग की रहे है. याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार ने इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं किया कि जातीय गणना क्यों कराई जा रही है.
पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर बहस पूरी होने के बाद गुरुवार को फैसला सुनते हुए अंतरिम आदेश में रोक लगा दी है.
पीठ ने सरकार को आदेश दिया है कि अब तक जो डाटा एकत्रित कियाा गया है उसे सुरक्षित रखा जाएगा. गौरतलब है कि बिहार में जाति आधारित गणना का दूसरा और आखिरी चरण चल रहा है.
बिहार सरकार की ओर से जातीय जनगणना के पक्ष में दलीले पेश करते हुए कहा कि राज्य सरकार को जातीय जनगणना करने का अधिकार है इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े समेत अन्य लोगों की गणना की जानी है.
सरकार ने कहा कि जातिगत गणना का प्रस्ताव दोनों सदनों की सर्वसम्मति से पारित हुआ है और साथ ही राज्य कैबिनेट ने इसके लिए बजट का प्रावधान किया है, इमरजेंसी फंड से एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है.