Obscene CD Case: छत्तीसगढ़ में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) की विशेष अदालत ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को 'अश्लील सीडी' मामले में सभी आरोपों से बरी कर दिया है. मंगलवार को सुनाए फैसले में अदालत ने कहा कि बघेल के खिलाफ आरोप साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. इस मामले में बघेल के अधिवक्ता मनीष दत्त ने अदालत के इस फैसले की पुष्टि की. भूपेश बघेल का पक्ष रख रहे अधिवक्ता मनीष दत्त ने बताया कि विशेष न्यायाधीश (CBI) रायपुर भूपेश कुमार बसंत ने बघेल के आवेदन पर विचार किया और उन्हें राहत देते हुए कहा कि मामले में दायर आरोपपत्र में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं. दत्त ने जानकारी दी कि अदालत ने कहा कि बघेल के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है. यह मामला 2017 में सामने आया था, जब एक सीडी में कथित तौर पर तत्कालीन भाजपा सरकार के एक मंत्री का नाम शामिल था. हालांकि, बाद में मीडिया में सीडी के फर्जी होने की भी खबरें आईं थी.
अक्टूबर 2017 में भूपेश बघेल के करीबी एवं वरिष्ठ पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी के बाद तत्कालीन लोक निर्माण विभाग मंत्री राजेश मूणत से कथित तौर पर जुड़े एक ‘पोर्न वीडियो’ के सामने आया था. उस समय भाजपा नेता प्रकाश बजाज द्वारा दायर एक शिकायत पर रायपुर के पंडरी पुलिस थाने में ब्लैकमेल और जबरन वसूली का मामला दर्ज किया गया था, जिसमें कहा गया था कि उन्हें एक अज्ञात व्यक्ति द्वारा फोन कर परेशान किया जा रहा था, जो बार-बार दावा कर रहा था कि उसके पास उनके आका की एक सीडी है. जांच के बाद, एक टीम दिल्ली भेजी गई और 27 अक्टूबर 2017 को विनोद वर्मा को गाजियाबाद से गिरफ्तार किया गया, पुलिस ने 500 सीडी और पेन ड्राइव आदि बरामद करने का दावा किया था. वर्मा ने तब दावा किया था कि उनके पास छत्तीसगढ़ के एक मंत्री की सेक्स सीडी है. वर्मा की गिरफ्तारी के बाद रायपुर में ‘पोर्न वीडियो’ सामने आया. इसके बाद मूणत ने रायपुर के सिविल लाइंस थाने में बघेल और वर्मा के खिलाफ कथित तौर पर ‘फर्जी सीडी’ के जरिए उनकी छवि खराब करने की शिकायत दर्ज कराई. छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भाजपा सरकार ने तब इस घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी.
सितंबर 2018 को सीबीआई ने इस मामले में यहां विशेष अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया था, जिसमें बघेल, वर्मा और तीन अन्य को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में से एक रायपुर के ऑटोमोबाइल डीलर रिंकू खानूजा ने जून 2018 में आत्महत्या कर ली थी. आरोपपत्र में सभी आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के तहत आरोप तय किए गए थे. इस मामले को लेकर जब कांग्रेस की प्रदेश इकाई के तत्कालीन अध्यक्ष बघेल को गिरफ्तार किया गया था तब उन्होंने जमानत याचिका दायर करने से इनकार कर दिया, जिसके बाद उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था. बघेल ने तब कहा था कि वह जेल में ‘सत्याग्रह’ पर बैठेंगे. रायपुर केंद्रीय कारागार में तीन रातें बिताने के बाद बघेल ने अपनी जमानत याचिका दायर की जिसके बाद उन्हें 27 सितंबर 2018 को विशेष सीबीआई अदालत ने जमानत दे दी. बघेल और कांग्रेस नेताओं ने दावा किया था कि उनके खिलाफ कार्रवाई राजनीति से प्रेरित थी.
इसके बाद 2018 के अंत में हुए राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भारी जीत दर्ज की और बघेल फिर मुख्यमंत्री चुने गए. इसके बाद विनोद वर्मा को बघेल का राजनीतिक सलाहकार नियुक्त किया गया. तब चुनावों के दौरान भाजपा ने सीडी कांड को लेकर बघेल पर निशाना साधा था. मामले की कार्यवाही सालों तक निष्क्रिय रही और हाल ही में मामले की सुनवाई फिर से शुरू हुई.
"सत्यमेव जयते"
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) March 4, 2025
भूपेश बघेल ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर इस फैसले के बाद पोस्ट किया, "सत्यमेव जयते." कांग्रेस प्रदेश कमेटी के संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने भी इस फैसले पर प्रतिक्रिया दी और कहा कि सच्चाई को कुछ समय के लिए दबाया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता.
(खबर पीटीआई भाषा से है)