झारखंड के रिटायर्ड आईएएस अरुण कुमार सिंह को माइंस आवंटन में भ्रष्टाचार मामले (Mines Allocation Case) में अग्रिम जमानत मिली है. रांची की सीबीआई कोर्ट (CBI Court) ने उन्हें 50-50 हजार रुपए के दो निजी मुचलके और पासपोर्ट जमा करने की शर्त पर जमानत दी है. इसके पहले इसी मामले में तत्कालीन खनन निदेशक इंद्र देव पासवान ने गुरुवार को रांची में सीबीआई कोर्ट में सरेंडर किया था और इसके बाद अदालत ने उन्हें भी इन्हीं शर्तों पर जमानत दे दी. बता दें कि यह मामला साल 2005 का है, जब उषा मार्टिन लिमिटेड को कथित तौर पर अवैध तरीके से आयरन ओर माइंस आवंटित हुई थी.
सीबीआई कोर्ट ने हाल ही में आयरन ओर माइन्स आवंटन घोटाले के मामले पर संज्ञान लिया है. सीबीआई ने सितंबर 2016 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की, जिसमें अरुण कुमार सिंह और अन्य को आरोपी बनाया गया. इस मामले में सीबीआई का आरोप है कि खदान आवंटन में राज्य सरकार के अधिकारियों ने उषा मार्टिन के पक्ष में पक्षपात किया.
माइन्स आवंटन का यह मामला वर्ष 2005 का है. राज्य के पश्चिमी सिंहभूम जिले के घाटकुरी में उषा मार्टिन लिमिटेड नामक कंपनी को 2005 आयरन ओर (लौह अयस्क) की माइन्स आवंटित की गई थी. माइन्स आवंटन की प्रक्रिया में गड़बड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप सामने आने के बाद सीबीआई ने इसकी जांच शुरू की. जांच एजेंसी की दिल्ली इकाई ने कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत सितंबर 2016 में इस मामले में एफआईआर दर्ज की, जिसमें झारखंड के खान विभाग के तत्कालीन सचिव आईएएस अरुण कुमार सिंह, विभाग के तत्कालीन निदेशक इंद्रदेव पासवान सहित कंपनी के प्रमोटरों को आरोपी बनाया गया था.
FIR में कहा गया था कि खदान के आवंटन के लिए केंद्र सरकार को जो सिफारिश भेजी गई थी, उसमें राज्य सरकार की तरफ से अधिकारियों ने कथित रूप से उषा मार्टिन को माइन्स आवंटित करने में पक्षपात किया था। कंपनी ने कथित तौर पर वादा किया था कि वह हाट गम्हरिया में स्थित अपने इस्पात संयंत्र में लौह अयस्क का उपयोग करेगी। कंपनी ने राज्य सरकार को एक अंडरटेकिंग भी दी थी. सीबीआई ने आरोप लगाया कि कंपनी बाद में यह कहते हुए इस बात से मुकर गई कि कैबिनेट नोट में इसका कोई विशेष जिक्र नहीं था. सीबीआई ने जांच पूरी करने के बाद जनवरी 2023 में मामले में चार्जशीट दाखिल की थी. इस पर सीबीआई कोर्ट ने हाल में संज्ञान लिया है.