बंग्लादेश के एक हाई कोर्ट ने रविवार को मॉब-लिचिंग से जुड़े एक मामले में अहम फैसला सुनाया है. हाई कोर्ट ने 20 छात्रों को फांसी की सजा को बरकारर रखा है. यह सभी आरोपी बांग्लादेश यूनिवक्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (BUET) के छात्र हैं. इन सभी पर आरोप है कि 2019 में उन्होंने अपने एक साथी छात्र, अबरार फहाद, की हत्या की थी. यह हत्या फहाद के राजनीतिक विचारों (Political Thoughts) के कारण की गई थी. अबरार, अपने फेसबुक पोस्ट में उस वक्त की मौजूदा आवामी लीग की सरकार की आलोचना कर रहा था. सभी दोषी छात्र बांग्लादेश चात्र लीग (BCL) के सदस्य थे, जो पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग का स्टूडेंट विंग है. रिपोर्ट के अनुसार, यह संगठन अब भंग हो चुका है.
जस्टिस एकेएम असदुज्ज़मान और जस्टिस सैयद एनायत हुसैन की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई पूरी करते हुए यह फैसला सुनाया. अदालत ने न केवल 20 छात्रों की फांसी की सजा को बरकरार रखा, बल्कि पांच अन्य छात्रों को भी जीवन की सजा सुनाई है. उन्होंने निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपीलों और मौत की सजा के विरोध में दलीलों को सुनने के बाद एक साथ अपना फैसला सुनाया है.
7 अक्टूबर, 2019 को, अबरार फहाद की लाश उसके विश्वविद्यालय के छात्रावास में मिली थी. जांच में पता चला कि उसे लगभग छह घंटे तक क्रिकेट बैट और अन्य भारी वस्तुओं से पीटा गया था. यह घटना तब हुई जब फहाद ने सरकार के खिलाफ फेसबुक पर पोस्ट शेयर किया था. BUET और बांग्लादेश छात्र लीग (BCL) ने फहाद की हत्या के बाद तुरंत सभी आरोपियों को यूनिवर्सिटी से निष्कासित कर दिया था. ये छात्र BCL के सदस्य थे, जो कि पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग का छात्र विंग है. 2021 में, ढाका की एक अदालत ने 20 छात्रों को फांसी की सजा सुनाई थी, जब अवामी लीग सत्ता में थी. हाई कोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखते हुए कहा कि यह निर्णय न्याय और समाज के लिए आवश्यक है. बचाव पक्ष के वकील अजीजुर रहमान दुलू (Defence lawyer Azizur Rahman Dulu) ने इस फैसले से निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि हम अपीलीय विभाग में अपील करेंगे, उम्मीद है कि हमें वहां न्याय मिलेग.
इस मामले में एक मौत की सजा पाने वाला कैदी, मुन्तासिर अल जमी, पिछले साल एक हाई सिक्योरिटी जेल से भाग गया था. उसने 86 अन्य मौत की सजा पाए कैदियों के साथ मिलकर यह भागने की योजना बनाई थी. यह घटना शेख हसीना के शासन के पतन के बाद हुई, जब छात्र-नेतृत्व वाले बड़े प्रदर्शन का फायदा उठाया गया.