नई दिल्ली: गैंगस्टर अतीक अहमद (Atique Ahmed) के शूटआउट को तीन महीने होने वाले हैं और अब, अतीक अहमद की बहन आयेशा नूरी (Aisha Noori) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है। अतीक अहमद और अशरफ अहमद की बहन ने अपने भाइयों के खून में स्वतंत्र जांच की मांग करते हुए दावा किया है कि राज्य की पुलिस ने सरकार की शह में इस मर्डर को अंजाम दिया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि गैंगस्टर्स अतीक अहमद और अशरफ अहमद (Ashraf Ahmed) की बहन आयेशा नूरी ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India) में एक याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता ने हिरासत में हुई अपने भाइयों की मृत्यु (custodial and extra-judicial killings) पर एक स्वतंत्र जांच की मांग की है।
याचिकाकर्ता का यह दावा है कि उनके परिवार वालों का मर्डर एक सोची-समझी साजिश है जिसके जिम्मेदार सरकारी अधिकारी हैं। उनका यह कहना है कि यह सब उनके परिवारवालों को मारने, परेशान करने और बदनाम करने के लिए किया गया है।
याचिककर्ता ने अपने भाइयों और परिवार के अन्य सदस्यों की मौत के लिए प्रतिवादी यानी पुलिस को जिम्मेदार ठहराया है; आयेशा नूरी का यह दावा है कि पुलिस अधिकारियों ने यह सब उत्तर प्रदेश सरकार की शह में किया है। याचिका में यह भी लिखा गया है कि इस मामले के चलते याचिकाकर्ता और उनके परिवार के संविधान के अनुच्छेद 19 में दिए मौलिक अधिकारों का भी हनन हुआ है।
याचिकाकर्ता की मांग है कि उनके भाइयों और भतीजे के मर्डर को लेकर यह स्वतंत्र जांच एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश द्वारा हो। बता दें कि आयेशा नूरी के साथ-साथ अधिवक्ता विशाल तिवारी द्वारा दायर एक जनहित याचिका भी लंबित है; इस पीआईएल में भी अतीक और अशरफ अहमद के मर्डर पर एक जांच की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है, ‘‘ ‘सरकार प्रायोजित हत्याओं’ में अपने भाइयों और भतीजे को खो चुकी याचिकाकर्ता संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत तत्काल रिट याचिका के माध्यम से इस अदालत में गुहार लगाने को बाध्य है कि प्रतिवादियों द्वारा ‘न्यायेतर हत्याओं’ के अभियान की व्यापक जांच इस अदालत के किसी सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा या किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा कराई जाए।’’
याचिका में आरोप लगाया गया है, ‘‘प्रतिवादियों-पुलिस अधिकारियों को उत्तर प्रदेश सरकार का पूरा समर्थन प्राप्त है जिसने उन्हें बदले की भावना के तहत याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों की हत्या करने, उन्हें गिरफ्तार करने और उनका उत्पीड़न करने की पूरी छूट दे रखी है।’’
याचिका में दावा किया गया है कि याचिकाकर्ता के परिवार के सदस्यों को चुप करने के लिए सरकार उन्हें एक के बाद एक झूठे मामलों में फंसा रही है। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह जरूरी है कि कोई स्वतंत्र एजेंसी जांच करे जो उच्चस्तरीय सरकारी प्रतिनिधियों की भूमिका का आकलन कर सकेगी जिन्होंने याचिकाकर्ता के परिवार को निशाना बनाने के लिए अभियान चलाने की साजिश रची और उसे अंजाम दिया था।
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने 28 अप्रैल को तिवारी की याचिका पर सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा था कि अतीक अहमद और अशरफ को प्रयागराज में पुलिस अभिरक्षा में चिकित्सा जांच के लिए एक अस्पताल ले जाते समय मीडिया के सामने क्यों पेश किया गया?
उत्तर प्रदेश की ओर से पक्ष रख रहे वकील ने शीर्ष अदालत को बताया कि राज्य सरकार घटना की जांच कर रही है और उसने इस बाबत तीन सदस्यीय आयोग बनाया है। शीर्ष अदालत ने राज्य सरकार को घटना के बाद उठाये गये कदमों पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया था।