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जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने से ASI को झिझक, जानें दिल्ली हाईकोर्ट में आज की सुनवाई में क्या हुआ?

एएसआई के रुख को देखते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि वह जामा मस्जिद को संरक्षित घोषित करने में हिचकिचा रहा है, लेकिन मस्जिद के प्रशासन की समीक्षा करेगा.

जामा मस्जिद (पिक क्रेडिटANI)

Written by Satyam Kumar |Updated : October 23, 2024 8:11 PM IST

आज दिल्ली हाईकोर्ट ने जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने से इंकार किया है. अदालत ने कहा कि उसने ये फैसला ASI के झिझक को देखते हुए दिया लेकिन अदालत मस्जिद प्रशासन के सुव्यवस्थित करने के मुद्दे को अवश्य देखेगी. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट से कहा कि ऐतिहासिक जामा मस्जिद को ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित करने का ‘व्यापक प्रभाव’ पड़ेगा और इस संबंध में अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है.

संरक्षित स्मारक नहीं बनेगी जामा मस्जिद

दिल्ली हाईकोर्ट में जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस अमित शर्मा की पीठ ने मौखिक रूप से कहा कि वह एएसआई के रुख को देखते हुए जामा मस्जिद को ‘संरक्षित स्मारक’ घोषित करने की इच्छुक नहीं है और याचिकाकर्ताओं को इस ऐतिहासिक संरचना के संरक्षण के लिए उठाए जाने वाले कदमों के संबंध में अपने नोट दाखिल करने का आदेश दिया.

पीठ ने कहा,

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“वे (एएसआई) कह रहे हैं कि झिझक है. इसे संरक्षित स्मारक घोषित करने का असर होगा.”

जामा मस्जिद को संरक्षित करने के मुद्दे से जुड़ी जनहित याचिकाओं के जवाब में दायर हलफनामे में एएसआई ने कहा कि एक बार जब किसी स्मारक को संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है, तो उसके आसपास के क्षेत्र में कुछ नियम और निषेध लागू हो जाते हैं. एएसआई ने कहा कि मुगलकालीन जामा मस्जिद मौजूदा समय में भले ही दिल्ली वक्फ बोर्ड के संरक्षण में है, लेकिन एएसआई वहां रक्षण और संरक्षण का काम कर रहा है. हालांकि, अदालत ने आगे कहा कि वह जामा मस्जिद के प्रशासन को सुव्यवस्थित करने के मुद्दे पर गौर करेगी.

क्या है मामला?

दिल्ली हाईकोर्ट उन जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है, जिसमें अधिकारियों को जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित करने और उसके आसपास सभी अतिक्रमण हटाने के निर्देश देने का अनुरोध किया गया है. सुहैल अहमद खान और अजय गौतम की ओर से 2014 में दायर इन जनहित याचिकाओं में जामा मस्जिद के इमाम मौलाना सैयद अहमद बुखारी के ‘शाही इमाम’ उपाधि का इस्तेमाल करने और उनके बेटे को नायब इमाम के रूप में नियुक्त करने पर आपत्ति भी जताई गई है. इन याचिकाओं में सवाल किया गया है कि जामा मस्जिद एएसआई के अधीन क्यों नहीं है. एएसआई ने अगस्त 2015 में अदालत को बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शाही इमाम को आश्वासन दिया था कि जामा मस्जिद को संरक्षित स्मारक घोषित नहीं किया जाएगा। मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में होगी.

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