बीते दिन संभल में शाही जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद से संबंधित याचिका पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सुनवाई 5 मई तक के लिए स्थगित की है. उच्च न्यायालय का ये फैसला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के, जबाव दाखिल करने के लिए अधिक समय की मांग के अनुरोध के बाद आया. हाई कोर्ट ने एएसआई के हलफनामे पर जवाब दाखिल करने के लिए 48 घंटे का समय दिया और संभल की शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति को अपना प्रत्युत्तर (Rejoinder) दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया.
बीते दिन की सुनवाई में जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल ने ASI के हलफनामे के जवाब के लिए 48 घंटे का और संभल की शाही जामा मस्जिद प्रबंधन समिति को अपना प्रत्युत्तर दाखिल करने के लिए एक हफ़्ते का समय दिया. मामला मस्जिद कमेटी द्वारा दायर एक पुनरीक्षण याचिका पर सुना जा रहा है जिसमें संभल की निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई है जिसने मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एक अधिवक्ता आयुक्त नियुक्त किया था.
हाई कोर्ट ने पहले इस मामले में निचली अदालत की कार्यवाही 25 फरवरी, 2025 तक स्थगित कर दी थी. हरी शंकर जैन और सात अन्य ने एक मुकदमा दायर किया है जिसमें दावा किया गया है कि सम्भल में एक मंदिर को गिराकर शाही जामा मस्जिद बनाई गई थी. इस मुकदमे में, आठ वादियों ने मस्जिद में प्रवेश के अधिकार की मांग की है. हाई कोर्ट में वर्तमान दीवानी पुनरीक्षण एक सर्वोच्च न्यायालय के वार्शिप एक्ट से जुड़ी याचिकाओं पर रोक लगाने के आदेश के बाद दायर किया गया था जिसने संभल की निचली अदालत के समक्ष पूरे कार्यवाही और मुकदमे की व्यवहार्यता को चुनौती दी थी.
बता दें कि निचली अदालत में अभी ASI सर्वे की रिपोर्ट रिकॉर्ड पर रखा जाना है, हालांकि कुछ कारणों से मुकदमे की ये कार्यवाही टल गई है. आज इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस सुनवाई पर रोक लगा दी है.
19 नवंबर के दिन हरिशंकर जैन एवं अन्य की याचिका पर आया, जिसमें दावा किया गया कि संभल जामा मस्जिद के नीचे पहले मंदिर था, इसी मामले की सुनवाई करते हुए जिला अदालत ने सर्वे का आदेश दिया है. बता दें कि अदालत के आदेश पर सर्वे करने गई टीम पर अनियंत्रित भीड़ ने हमला किया था. घटना के दौरान चार लोगों के मरने की खबर भी आई है.