इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कुछ मंदिरों में त्योहारों पर सरकारी नियंत्रण को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर सुनवाई 17 जनवरी, 2024 के लिए निर्धारित की है. डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई इस याचिका में 2017 के सरकारी आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें मंदिर के त्योहारों के प्रबंधन को केंद्रीकृत किया गया है. याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31-ए का उल्लंघन होने का दावा किया गया है.
चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की पीठ ने डॉ. स्वामी की ओर से सुनवाई टालने के अनुरोध पर यह तारीख निर्धारित की. स्वामी ने इस जनहित याचिका के जरिये वर्ष 2017 में सरकार के एक आदेशों को चुनौती दी, जिसके तहत राज्य सरकार ने कुछ मंदिरों के मेलों और उत्सवों का नियंत्रण और प्रबंधन अपने हाथ में ले लिया था.
सरकार ने इस संबंध में 18 सितंबर, 2017 को अधिसूचना और तीन नवंबर 2017 को आदेश जारी किया था. जनहित याचिका में बताया गया कि ये आदेश भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 25 और 31-ए का उल्लंघन हैं. याचिका में आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने मनमाने ढंग से गैर संवैधानिक तरीके से मंदिरों और धार्मिक कामकाज को प्रबंधन और नियंत्रण अपने हाथ में लिया है.
याचिका में राज्य सरकार की 18 सितंबर और 3 नवंबर 2017 की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई है, जिसके अनुसार मां ललिता देवी शक्तिपीठ, मां पाटेश्वरी शक्तिपीठ देवीपाटन, तुलसीपुर बलरामपुर, नैमिषारण्य सीतापुर, मां विंध्यवासिनी शक्तिपीठ मिर्जापुर और शाकुंभरी माता मंदिर सहारनपुर में आयोजित मेलों को सरकारी मेला घोषित किया गया है.