नई दिल्ली: फिल्म 'आदिपुरुष' (Adipurush) जब से रिलीज हुई है, अपने डायलॉग्स और रामायण के पात्रों के 'मॉडर्न' चित्रण की वजह से विवादों में हैं। इस फिल्म को बैन करने हेतु इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) में याचिका दायर की गई जिसकी सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा- 'हिंदुओं की सहिष्णुता को टेस्ट क्यों करना?'
इतना ही नहीं, अदालत ने फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर (Manoj Muntashir) को भी नोटिस जारी किया है।
जैसा कि हमने आपको अभी बताया, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को फिल्म 'आदिपुरुष' को बैन करने हेतु दायर की गई याचिका की सुनवाई की।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने फिल्म मेकर्स पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि 'आदिपुरुष' के डायलॉग्स ने समाज के एक बहुत बड़े हिस्से को हताश किया है और उनकी 'धार्मिक भावनाओं को आहत किया है'।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश राजेश सिंह चौहान (Justice Rajesh Singh Chauhan) और न्यायाधीश श्री प्रकाश सिंह (Justice Shree Prakash Singh) की पीठ का यह कहना है कि हिंदू धर्म के लोगों को सहिष्णु माना जाता है लेकिन क्या इस तरह उनका टेस्ट लिया जाएगा?
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फिल्म के सर्टिफिकेशन पर सवाल उठाते हुए यह भी कहा है कि फिल्म में जिस तरह श्री राम और सीता का चित्रण किया गया है, यह तो अच्छा हुआ कि लोगों ने कानून और व्यवस्था को खराब नहीं किया। इन चीजों को शुरू से ही फिल्म से हटा देना चाहिए और इसमें ऐसे भी कई सीन हैं जिन्हें 'A' कैटेगरी का कहा जा सकता है।
सुनवाई के दौरान, इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने फिल्म के राइटर मनोज मुंतशिर शुक्ला को भी मामले में शामिल करा है और उन्हें एक नोटिस भी जारी किया है, जिसका जवाब उन्हें एक हफ्ते के अंदर देना है।
प्रतिवादी की तरफ से अदालत को बताया गया कि फिल्म में एक डिस्क्लेमर ऐड कर दिया गया है, जिसपर इलाहाबाद हाइकोर्ट ने कहा है कि फिल्म में भगवान राम, भगवान लक्ष्मण, भगवान हनुमान, रावण और लंका दिखाने के बाद आप कहते हैं कि यह रामायण नहीं है, क्या इस देश की जनता और युवा पीढ़ी के पास दिमाग नहीं है?
फिल्म को बैन किया जाएगा या नहीं, इसपर अदालत ने कहा है कि फिल्म के कुछ डायलॉग बदलने से कुछ नहीं होगा, उससे फिल्म के सीन्स पर कोई असर नहीं होगा। अदालत ने कहा है कि वो वही करेंगे जो जरूरी होगा; फिल्म के एक्जिबिशन को रोकने से उन लोगों को राहत मिलेगी जो इससे आहत हुए हैं।