इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को राज्य में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति के लिए नई चयन सूची तैयार करने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने जून 2020 और जनवरी 2022 में जारी चयन सूचियों को रद्द कर दिया है, जिसमें 6,800 उम्मीदवार शामिल थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की पीठ ने महेंद्र पाल और अन्य द्वारा दायर 90 विशेष अपीलों का निपटारा करते हुए यह आदेश जारी किया, जिसमें पिछले साल 13 मार्च के एकल न्यायाधीश के आदेश को चुनौती दी गई थी. अदालत ने निर्देश दिया कि नई चयन सूची तैयार करते समय वर्तमान में कार्यरत सहायक शिक्षकों पर किसी भी प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जाना चाहिए ताकि उन्हें चालू शैक्षणिक सत्र पूरा करने की अनुमति दी जा सके. पीठ ने पहले के आदेश में भी संशोधन किया और कहा कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवार जो सामान्य श्रेणी की मेरिट सूची के लिए अर्हता प्राप्त करते हैं, उन्हें उस श्रेणी में स्थानांतरित कर दिया जाना चाहिए.
अपीलकर्ताओं ने एकल-न्यायाधीश के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि 69,000 शिक्षकों के चयन में राज्य के अधिकारियों द्वारा प्रदान किया गया आरक्षण सटीक नहीं था, और 6,800 शिक्षकों की नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाया था. एकल-न्यायाधीश ने फैसला सुनाया था कि शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) में आरक्षण का लाभ उठाने वाले उम्मीदवारों को अनारक्षित श्रेणी के तहत नहीं माना जाना चाहिए, भले ही उन्होंने सामान्य श्रेणी के लिए कट-ऑफ अंक प्राप्त किए हों.
हालांकि, मौजूदा पीठ ने अब स्पष्ट किया है कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में स्थानांतरित किया जाना चाहिए यदि वे योग्यता मानदंडों को पूरा करते हैं. अदालत ने आरक्षित वर्ग के 6,800 उम्मीदवारों की 5 जनवरी, 2022 की चयन सूची को रद्द करने के एकल-न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखा। पीठ ने राज्य सरकार और अन्य संबंधित अधिकारियों को तीन महीने के भीतर नई चयन सूची जारी करने की प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया। न्यायालय के इस फैसले का उत्तर प्रदेश में चल रही सहायक शिक्षक भर्ती प्रक्रिया पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ने की उम्मीद है.